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नोटिस लेकर फाड़ देते हैं अतिक्रमणकारी

दबंगई. आइटी पार्क बनाने के लिए प्रस्तावित सरकारी जमीन पर हुआ अतिक्रमण बक्सर : सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का खेल पुराना है. इस खेल में विभागीय कारिंदे भी ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी जमीन का अतिक्रमण किया हुआ है. फिलहाल जो मामला सामने आया है. वह नगर पर्षद से जुड़ा है. सिविल लाइन मुहल्ले के वार्ड […]

दबंगई. आइटी पार्क बनाने के लिए प्रस्तावित सरकारी जमीन पर हुआ अतिक्रमण
बक्सर : सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का खेल पुराना है. इस खेल में विभागीय कारिंदे भी ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी जमीन का अतिक्रमण किया हुआ है. फिलहाल जो मामला सामने आया है. वह नगर पर्षद से जुड़ा है. सिविल लाइन मुहल्ले के वार्ड नंबर 19 में आइटी पार्क बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन इस जमीन का अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों को कोई दिलचस्पी नहीं है. अतिक्रमण हटाने के लिए नगर पर्षद के अधिकारी वर्षों से कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं. अबतक करीब एक दर्जन से भी अधिक नोटिस विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों को भेजा गया है, लेकिन कार्रवाई सिफर है. अतिक्रमणकारी नोटिस लेकर उसे फाड़कर फेंक देते हैं और जबरन कब्जा जमाये हुए हैं. हर बार अल्टीमेटम देकर अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं. और फिर एक नोटिस जारी कर अधिकारी अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं. जबकि समीक्षा बैठकों में हर बार उस जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अधिकारियों के स्तर से निर्देश दिये जाते रहे हैं.
सदर एसडीओ से लेकर सीओ और नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी तक को अतिक्रमणमुक्त कराने की जिम्मेदारी दी गयी है, लेकिन हुआ कुछ नहीं. लिहाजा पार्क बनने की योजना फाइलों में दम तोड़ रही है.
सड़क बनाने में भी आड़े आया था अतिक्रमण : यह अतिक्रमण काफी पुराना है. वर्ष 2013 में जब इस मोहल्ले में सड़क बन रही थी, तब भी गली का अतिक्रमण कर लिए जाने से रास्ते का निर्माण कार्य अवरुद्ध हो गया था. यह मामला जिलाधिकारी के जनता दरबार तक पहुंचा था. वार्ड नंबर 19 की यह गली खदान से होकर गुजरती है. संवेदक ने निर्माण कार्य शुरू किया, तो गली ही अतिक्रमण में पायी गयी
अतिक्रमण करनेवाले लोग निर्माण हटाने को तैयार नहीं थे. अतिक्रमण करनेवाले नगर पर्षद के कर्मचारी हैं. यहां नगर पर्षद की ही बहुत बड़ी जमीन खाली है, जिसका अतिक्रमण जारी है. सूत्र बताते हैं कि हर बार स्थानीय नेताओं व जनप्रतिनिधियों का सह इन अतिक्रमणकारियों को मिल जाता है, जिससे इनका मनोबल बढ़ा हुआ है.
दस वर्षों से चल रहा नोटिस भेजने का सिलसिला : नगर पर्षद की सरकारी जमीन पर इसी के कर्मचारी अतिक्रमण किये हैं. अतिक्रमण हटाने के लिए दस वर्षों से नोटिस भेजा जा रहा है.
वर्ष 2013 में इसके लिए जब आवेदन दिया गया, तो नगर पर्षद के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी रियाज अहमद ने संबंधित कर्मचारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का निर्देश दिया. उनका निर्देश था कि अगर वह अतिक्रमण नहीं हटाता है, तो उसे निलंबित कर दिया जाये. इसके बावजूद अतिक्रमण बरकरार रहा. इसके बाद के सभी पदाधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने का नोटिस थमाया, जिसे हर बार की तरह अतिक्रमणकारियों ने फाड़ कर फेंक दिया.

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