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दोगुने से अधिक मूल्य की रेफरेंस बुक खरीदने को मजबूर हो रहे हैं छात्र, बाजार से गायब हुईं एनसीइआरटी की किताबें

सीबीएसइ की ओर से स्कूलों के सिलेबस में एनसीइआरटी की किताबें ही शामिल की गयी हैं, लेकिन बाजार में बीते छह महीनों से कक्षा छह, सात, 11 सहित अन्य कक्षाओं की एनसीइआरटी की किताबें गायब हैं.

जूही स्मिता पटना

सीबीएसइ की ओर से स्कूलों के सिलेबस में एनसीइआरटी की किताबें ही शामिल की गयी हैं, लेकिन बाजार में बीते छह महीनों से कक्षा छह, सात, 11 सहित अन्य कक्षाओं की एनसीइआरटी की किताबें गायब हैं. किताब दुकानदारों के मुताबिक महीनों पहले से ऑर्डर देने के बाद भी अभी तक किताबें उपलब्ध नहीं करायी जा सकी हैं. अब मजबूरन छात्रों-अभिभावकों को एनसीइआरटी से लगभग दोगुने दाम के प्राइवेट प्रकाशनों की रेफरल किताबें खरीदनी पड़ रही हैं. छात्रों की समस्याओं को लेकर गुरुवार को प्रभात खबर ने किताब दुकानों की पड़ताल की.

सीमा सिंह, प्राचार्य, संत कैरेंस हाइ स्कूल

जूनियर क्लास में एनसीइआरटी की किताबें सभी बच्चों ने खरीद रखी है. सीनियर क्लास के बच्चों की ओर से एनसीइआरटी की किताबें नहीं मिलने की शिकायत आयी थी, लेकिन स्कूल की ओर से छात्रों को पासआउट बच्चों से किताब लेकर दी गयी और कुछ टीचर्स के पास भी पुरानी कॉपी थी जिसे बच्चों को दिया गया. स्कूल में एनसीइआरटी की किताबों पर ही फोकस किया जाता है. परीक्षा में भी अधिकतर सवाल इसी किताब से ही पूछे जाते हैं इसलिए बच्चों को इसी किताब को पढ़ने की सलाह दी जाती है. रेफरेंस के लिए बच्चे अन्य किताब का सहारा ले सकते हैं.

अखिलेश, दुकानदार, न्यू बुक स्टॉल, रमना रोड

एनसीइआरटी की कक्षा 7,11 व अन्य क्लास की कुछ किताबें आउट ऑफ स्टॉक हैं. कई महीनों से ऑर्डर दे रखा है, मगर अभी तक किताब नहीं आयी है. डिविजन में बात करने पर बताया जाता है कि किताब प्रिटिंग पर गयी हुई है.

राम प्रकाश, ज्ञान गंगा, कदमकुआं

अभी हमारे पास एनसीइआरटी के 11वीं का पॉलिटिकल साइंस (हिंदी, अंग्रेजी), ज्योग्राफी (हिंदी), छठी कक्षा का मैथ, सातवीं कक्षा का सोशल साइंस, नौवीं कक्षा का सोशल साइंस, मैथ, अंग्रेजी आदि विषयों की किताबें आउट ऑफ स्टॉक हैं. पूछने पर बताया जाता है कि प्रिंटिंग प्रोसेस में है या फिर लॉट आते ही भेजने का आश्वासन दिया जाता है.

प्राइवेट प्रकाशनों का चल रहा खेल

दुकानदारों की मानें, तो एनसीइआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं होने के कारण प्राइवेट प्रकाशन वालों का भी खेल रहता है. जब बाजार में एनसीइआरटी की किताब उपलब्ध नहीं रहेगी, तभी प्राइवेट प्रकाशन की महंगी पुस्तकें लोग मजबूरन खरीदेंगे.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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