आरा : रासायनिक उर्वरक से हो रही कई तरह के नुकसान को देखते हुए सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं बनायीं तथा योजना के तहत लक्ष्य भी निर्धारित किया गया, पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण जिले में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना असफल रही. इससे जिले के किसान ठगा महसूस कर रहे हैं.
रासायनिक उर्वरक से वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि धीरे-धीरे बंजर की स्थिति में आते जा रही है, वहीं इसका भू-जल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इसे देखते हुए सरकार ने जैविक खेती प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की.
योजना की कई प्रखंडों में नहीं हुई शुरुआत : जैविक खेती प्रोत्साहन योजना की शुरुआत अब तक कई प्रखंडों में नहीं हो सकी है, जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 समाप्ति की ओर है. वहीं, कई प्रखंडों में यह लक्ष्य से काफी पीछे है. सहार, संदेश, आरा, शाहपुर सहित कई प्रखंडों में योजना की शुरुआत भी नहीं की गयी.
कई प्रखंडों में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना की नहीं हुई शुरुआत
खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं किसान
योजना के तहत प्रखंडों के लिए निर्धारित लक्ष्य
सरकार की किसानों के लिए महत्वाकांक्षी योजना जैविक खेती प्रोत्साहन योजना के तहत वर्ष 2016-17 के लिए भौतिक व वित्तीय लक्ष्य का निर्धारण किया गया था. इसके तहत आरा प्रखंड में 10 लाख, 76 हजार, 342 रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 8 लाख, 39 हजार, 547 रुपये, अनुसूचित जाति के लिए 2 लाख, 15 हजार, 268 रुपये, जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए 21 हजार, 527 रुपये, बड़हरा प्रखंड के लिए 12 लाख, 2970 रुपये की राशि आवंटित की गयी,
जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 938317 रुपये, अनुसूचित जाति के लिए 240594 रुपये, अनुसूचित जनजाति के लिए 24059 रुपये, कोइलवर प्रखंड के लिए 1202970 रुपये, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 938317 रुपये, अनुसूचित जाति के लिए 240594 रुपये, अनुसूचित जनजाति के लिए 24059 रुपये, संदेश प्रखंड के लिए कुल राशि 696456 रुपये,
जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 543236 रुपये, अनुसूचित जाति के लिए 139291 रुपये तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 13929 रुपये. वहीं, उदवंतनगर प्रखंड के लिए 1139656 रुपये, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 888932 रुपये, अनुसूचित जाति के लिए 227931 रुपये, अनुसूचित जनजाति के लिए 22793 रुपये की राशि आवंटित की गयी थी, पर विभागीय लापरवाही के कारण 50 प्रतिशत की राशि भी खर्च नहीं की गयी. इससे इस योजना पर जिले में ग्रहण की स्थिति बन गयी है. किसान अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.