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अब ब्रजेश को दबोचने में जुटी पुलिस

विशेश्वर ओझा हत्याकांड. हरेश-ब्रजेश पर दर्जन भर से अधिक मामले हैं दर्ज ब्रजेश की गिरफ्तारी के लिए कई जगहों पर छापेमारी आरा : दियारा के आतंक हरेश मिश्रा और ब्रजेश मिश्रा में से एक को दबोचने के बाद पुलिस अब दूसरे को दबोचने के फिराक में लग गयी है. हरेश मिश्रा से पूछताछ के बाद […]

विशेश्वर ओझा हत्याकांड. हरेश-ब्रजेश पर दर्जन भर से अधिक मामले हैं दर्ज

ब्रजेश की गिरफ्तारी के लिए कई जगहों पर छापेमारी
आरा : दियारा के आतंक हरेश मिश्रा और ब्रजेश मिश्रा में से एक को दबोचने के बाद पुलिस अब दूसरे को दबोचने के फिराक में लग गयी है. हरेश मिश्रा से पूछताछ के बाद पुलिस ने ब्रजेश की गिरफ्तारी के लिए कई जगहों पर छापेमारी की. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और शाहपुर की पूर्व विधायक मुन्नी देवी के भैंसुर विशेश्वर ओझा हत्याकांड में दोनों भाई आरोपित हैं. पुलिस को लंबे समय से इन दोनों की तलाश थी. हरेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस थोड़ी राहत में है,
लेकिन ब्रजेश की फिराक में अभी भी लगी हुई है. बता दें कि कोलकाता के हावड़ा स्थित उत्तर पाड़ा के रेसड़ा बिरला मोड़ से पटना एसटीएफ की टीम ने हरेश मिश्रा को सोमवार को गिरफ्तार किया था. उसके साथ चचेरा भाई धनंजय मिश्रा भी पुलिस के कब्जे में आ गया. गिरफ्तार हरेश पर पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा था. बता दें कि हरेश मिश्रा एवं ब्रजेश मिश्रा सोनबरसा निवासी शिवाजीत मिश्रा के पुत्र हैं, जो फिलवक्त जेल में बंद है. इन दोनों भाइयों के खिलाफ हत्या, लूट, गोलीबारी, रंगदारी सहित दर्जन भर से अधिक मामले दर्ज हैं.
दियारे की जमीन व आपसी वर्चस्व को लेकर है रंजिश : दियारे की जमीन और आपसी वर्चस्व को लेकर ओझा परिवार और मिश्र परिवार के बीच रंजिश की शुरुआत हुई थी. दोनों परिवारों के बीच कई बार बंदूकें गरजीं और एक-दूसरे के खिलाफ साजिश रची गयी.
12 फरवरी को गोलियों से कर दिया गया था छलनी : इसी वर्ष 12 फरवरी को शाम के समय करनामेपुर ओपी के सोनवर्षा गांव के बाजार पर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक मुन्नी देवी के जेठ विशेश्वर ओझा की हत्या कर दी गयी. शादी समारोह में जाने के क्रम में गोलियों से उन्हें भून दिया गया था. इस हाइ प्रोफाइल मर्डर में हरेश मिश्र व ब्रजेश मिश्र सहित पांच लोगों को आरोपित बनाया गया था. इस मामले में फरार हरेश मिश्र के घर की कुर्की तक की गयी. वर्ष 2013 में 17 अप्रैल को संध्या समय भरौली बाजार के समीप भरौली-करनामेपुर सड़क पर मुन्ना मिश्र हत्या के मामले के वादी सहजौली गांव के माको ओझा की हत्या कर दी गयी, जिसमें हरेश मिश्र को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था.
हरेश का नार्को टेस्ट हो, तो खुल जायेगी साजिश : मुन्नी : शाहपुर की पूर्व विधायक मुन्नी देवी ने इस गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस घटना में हरेश मिश्र प्रत्यक्ष रूप से शामिल है, लेकिन हत्या की साजिश रचनेवालों में कई लोग हैं. पुलिस के लिए साजिशकर्ताओं का परदाफाश करना भी जरूरी है. पुलिस गिरफ्तार हरेश का नार्को टेस्ट करा दे, तो साजिश का खुलासा हो जायेगा.
हरेश-ब्रजेश के पिता शिवाजीत मिश्र जेल में है बंद
दादा-पिता गये जेल, तो हरेश बन गया कुख्यात
शाहपुर दियारे में पिछले तीन दशकों से चले आ रहे गुटीय संघर्ष एवं वर्चस्व स्थापित करने की लड़ाई में ओझा गुट एवं मिश्र गुट के बीच करीब पांच साल पूर्व एक खूंखार नाम आया, जिसका नाम था हरेश मिश्र जो दियाराे क्षेत्र के शिवाजीत मिश्र का बेटा है. बाहुबली पारिवारिक पृष्ठभूमि में पले-बढ़े हरेश मिश्र का नाम सुर्खियों में तब आया, जब 2011 में पंचायत चुनाव के पूर्व सोनवर्षा गांव के मुन्ना मिश्र की हत्या के मामले में नामजद आरोपित बनाया गया. माना जाता है कि इस मामले में साजिश के तहत हरेश मिश्र तथा इनके पिता शिवाजीत मिश्र सहित घर के कई अन्य सदस्यों को फंसाया गया. इसके बाद पुलिस द्वारा नामजदों की गिरफ्तारी के लिए उनके वृद्ध दादा नरेन मिश्र को जेल भेज दिया गया और शिवाजीत मिश्र ने न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. दादा और पिता को झूठे आरोप में जेल जाने के बाद हरेश मिश्र काफी खूंखार हो चुका था.
लंबे समय से पुलिस से छुपा फिर रहा था हरेश
कुख्यात हरेश और ब्रजेश लंबे समय से पुलिस से छिपता फिर रहा था. सूत्रों की मानें, तो दोनों ठिकाना बदल कर इधर-उधर रहते थे. ज्यादातर उनका ठिकाना बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रहता था. पिछले दो वर्षों से दोनों भाई पुलिस को चकमा दे रहे थे. विशेश्वर ओझा हत्याकांड के बाद पुलिस ने तीनों राज्यों में कई बार छापेमारी की, लेकिन दोनों में से कोई हाथ नहीं लगा. कई बार तो करीब पहुंच कर भी पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा.
प. बंगाल में चार महीने की मशक्कत के बाद धराया हरेश मिश्रा
पटना. विशेश्वर ओझा की हत्या के मुख्य आरोपी हरेश मिश्रा के गिरफ्तारी की सोमवार को पुलिस मुख्यालय ने पुष्टि कर दी है. इसे 25 दिसंबर की देर रात कोलकाता के उत्तरपाड़ा नामक बाहरी इलाके से गिरफ्तार किया गया. वह कोलकाता में अपनी पहचान छिपाकर अमित मिश्रा के नाम से रह रहा था. इसके साथ इसके भाई धनंजय मिश्रा और किशन मिश्रा को भी गिरफ्तार किया गया है, जो पहले से ही अन्य कई कांडों में वांछित है. एसटीएफ की विशेष टीम ने इसे गिरफ्तार करके जिला पुलिस के हवाले कर दिया है. इसकी गिरफ्तारी में पश्चिम बंगाल की पुलिस ने भी काफी सहयोग किया. प्राप्त जानकारी के अनुसार, हरेश को दबोचने के लिए एसटीएफ की जिस विशेष टीम का गठन किया गया था. उसने चार महीने तक पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में कड़ी मशक्कत की थी. हरेश एक स्थान पर नहीं टिक कर रहता था. वह कभी हुगली जाकर कुछ दिन रहता, तो कभी परगना जिला, तो कभी कहीं अन्य स्थान पर. भोजपुर जिला स्थित उसके भाइयों व परिजनों पर भी लगातार नजर रखी गयी और खुफिया जानकारी एकत्र की गयी.
इसके आधार पर हरेश का सुराग मिला और अंत में कई स्थानों पर मशक्कत करने के बाद उसे उत्तरपाड़ा इलाके से दबोचा गया.

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