डुमरांव़ : तीसरे चरण के मतदान को लेकर अधिसूचना एक अक्टूबर को जारी होगी. जबकि वोट की फसल काटने के लिए उम्मीदवारों ने हाइटेक चुनाव प्रचार तेजी से शुरू कर दिया है़
इस बार के चुनाव प्रचार में इंटरनेट, मोबाइल, फेसबुक और ट्विटर ने तेजी से पाव जमा लिया है़ इसके जरिये उम्मीदवार हर घर में पहुंचने को बेताब दिख रहे है़ं
लोकतंत्र के महापर्व में इसका जम कर इस्तेमाल हो रहा है़ दो दशक पूर्व चुनाव प्रचारों पर गौर किया जाये, तो गांव व शहरों के चौक-चौराहों पर कार्यकर्ताओं का जत्था सुरों के ताल पर ढोलक व झाल बजा कर अपनी पार्टी व उम्मीदवार का प्रचार-प्रसार करने निकलते थे़
इन सुरों में जब कजरी-कौवाली व गवईं गीतों के मिठे बोल फूटते थे तो लोग घंटों तक इसका आनंद उठाते थे़ अब तेजी से चुनाव प्रचार का चेहरा बदला है. कार्यकर्ताओं की जगह कैसेट ने संभाल लिया़ वहीं, समर्थकों की टोली के बदले लग्जरी गाड़ियों का काफिला नजर आता है.
बुजुर्ग ग्रामीण रामसिहासन चौधरी, कन्हैंया लाल, प्रेमचंद कुशवाहा, फतेह बहादुर आदि कहते हैं कि पहले चुनाव के दौरान आपसी मेल-जोल के जरिये समर्थन देने की बात होती थी़ अब जातीय आधार पर वोट मांगे जाते हैं. जनता व प्रतिनिधि के रिश्ते सहज होते थे़ समाज के दुख-दर्द को समझ कर ईमानदारीपूर्वक कार्य को किया जाता था,
लेकिन अब चुनाव के दौरान उम्मीदवारों का दर्शन होता है़ बुजुर्गों की माने, तो हाइटेक चुनाव प्रचार दिल व दल दोनों को प्रभावित करता है