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भोजपुर : छात्र हत्याकांड में दो महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा

आरा (भोजपुर) : दो वर्ष पूर्व बिहिया के डफाली मुहल्ला में हुई एक छात्र की हत्या के मामले में तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश त्रिभुवन यादव ने शनिवार को दो महिलाओं बबीता देवी व चांदनी कुमारी को सश्रम उम्रकैद व 11-11 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. अपर लोक अभियोजक श्री रंजन ने बताया […]

आरा (भोजपुर) : दो वर्ष पूर्व बिहिया के डफाली मुहल्ला में हुई एक छात्र की हत्या के मामले में तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश त्रिभुवन यादव ने शनिवार को दो महिलाओं बबीता देवी व चांदनी कुमारी को सश्रम उम्रकैद व 11-11 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. अपर लोक अभियोजक श्री रंजन ने बताया कि सजा की बिंदु पर सुनवाई के बाद तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री यादव ने हत्या करने व साक्ष्य मिटाने का दोषी पाते हुए आरोपित बबिता देवी व चांदनी कुमारी को उक्त सजा सुनायी.

अपर लोक अभियोजक प्रशांत रंजन ने बताया कि 19 अगस्त, 2018 को शाहपुर थाने के दामोदरपुर गांव निवासी विमलेश साह इंटर में नामांकन के लिए आरा जाने के लिए घर से गया था. 20 अगस्त, 2018 की शाम में बिहिया के डफाली मुहल्ला के रेलवे ट्रैक के पास उसका शव फेंका हुआ मिला था. पुलिस ने जांच के बाद डफाली मुहल्ला की बबीता देवी व चांदनी कुमारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.

उम्मीद थी शाबासी की हो गयी किरकिरी

जन सरोकार से जुड़े कुछ प्रोजेक्ट, जो बने परेशानी का सबब

पांच साल की सरकार में राजधानी सहित अहम शहरों के विकास के लिए कई कार्य हुए. तालाबों का सुंदरीकरण किया गया. सरकारी भवनों का निर्माण हुआ.

स्कूल-कॉलेज के लिए भवन बनवाये गये, लेकिन, कई प्रोजेक्ट ऐसे भी रहे, जिनके पूरा होने से राज्य सरकार को काफी शाबाशी मिलने की उम्मीद थी. लेकिन, नतीजा उलट निकला. काम करने के बाद भी राज्य सरकार की किरकिरी हुई. विजन बेहतर होते हुए भी अधियारियों के ढील-ढाल रवैया के कारण कई प्रोजेक्ट ऐसे भी रहे जो या तो पूरे नहीं किये जा सके या इन प्रोजेक्ट पर काम तक शुरू नहीं हो सका.

1. फहरा कर उतारा गया पहाड़ी मंदिर पर लगा दुनिया का सबसे ऊंचा तिरंगा

वर्ष 2016 में रांची के पहाड़ी मंदिर के शिखर पर 493 फीट ऊंचे फ्लैग पोल स्थापित किया गया. इस पर 23 जनवरी 2016 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर 30.17 मीटर लंबे और 20.12 मीटर चौड़ा तिरंगा झंडा फहराया गया. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पहाड़ी मंदिर के नीचे बने समारोह स्थल से बटन दबा कर यह तिरंगा फहराया था.

उद्योगपति विष्णु अग्रवाल द्वारा दी गयी राशि से स्थापित फ्लैग पोल को लेकर प्रशासन काफी उत्साहित था. पूरे ताम-झाम से लहराया गया झंडा एक सप्ताह भी नहीं टिका. तेज हवा से फटा झंडा हटा लिया गया. मौजूदा समय में इस फ्लैग पोल का रख-रखाव भी सही ढंग से नहीं हो रहा है. झंडा चढ़ाने वाला मोटर भी कई महीनों से खराब पड़ा है. झंडा के लिए लगाया गया पोल अब केवल दिखावा मात्र ही रह गया है. विजन यह था कि सबसे ऊंचा तिरंगा सालों भर लहराता और रांची की पहचान होता, नतीजा यह है कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को भी झंडा फहराना मुश्किल है.

2. अब तक नहीं बन सका कांटाटोली फ्लाइओवर शहर के लाेगों को झेलनी पड़ रही है परेशानी

शहर को सड़क जाम से मुक्ति दिलाने और ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू करने के उद्देश्य से कांटा टोली फ्लाइओवर का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका. काम शुरू होने के तीन वर्षों के बाद भी फ्लाइओवर निर्माण कार्य पूरा करना तो दूर, पिलर का काम तक नहीं किया जा सका है.

लोगों को जाम से मुक्ति की जगह धीमी गति से चल रहे निर्माण कार्य के कारण परेशानी ही झेलनी पड़ रही. कांटाटोली में सर्विस लेन नहीं होने और मुख्य सड़क अवरूद्ध कर कच्ची सड़क पर आवागमन कराने से सड़क पर पैदल चलना तक मुहाल है. 22 जुलाई 2016 को कांटाटोली फ्लाइओवर निर्माण के लिए 5170.12 लाख रुपये व योजना के कार्यान्वयन के लिए 14048.87 लाख रुपये की लागत पर भूमि अधिग्रहण यानी कुल 19218.99 लाख रुपये की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी. योजना का डीपीआर मेकन लिमिटेड से तैयार कराया गया था.

शहर में होनेवाले वीआइपी मूवमेंट से आम जनता को होनेवाली दिक्कत से बचाने और रातू रोड चौराहा पर ट्रैफिक स्मूथ करने के लिए हरमू फ्लाइओवर निर्माण की योजना बनायी गयी थी. 2016 में ही तैयार की गयी हरमू फ्लाईओवर निर्माण का पेच रह-रह कर फंसता रहा.

फ्लाइओवर का निर्माण केवल कागजों पर ही होता रहा. कभी डीपीआर की त्रुटि, कभी रोटरी निर्माण तो कभी भू-अधिग्रहण को लेकर मामला उलझता रहा. नगर विकास विभाग की इकाई जुडको, एनएचएआइ और पथ निर्माण विभाग के अफसरों के साथ नगर विकास मंत्री की मंत्रणा का कुछ फलाफल नहीं निकल सका. नतीजन, आज तक हरमू फ्लाइओवर का निर्माण शुरू नहीं किया जा सका.

रातू रोड शहर की व्यस्ततम सड़क है. शहर में आनेवाली ज्यादातर गाड़ियां रातू रोड मुख्य पथ से होकर गुजरती हैं. रातू रोड में रहनेवाली शहर की बड़ी आबादी हर दिन सड़क जाम से त्रस्त रहती है.

राज्य सरकार ने केंद्र से सहयोग लेकर रातू रोड में एलिवेटेड रोड के निर्माण की योजना तैयार की. जमीन की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से एलिवेटेड रोड बनाने का आग्रह किया. केंद्र ने पिस्का मोड़ से कचहरी तक 3.5 किमी लंबा एलिवेटेड रोड निर्माण की योजना स्वीकृत की. लेकिन, एलिवेटेड रातू रोड की योजना कागज से बाहर नहीं निकल सकी. कभी अतिक्रमण हटाने के नाम पर, तो कभी हरमू फ्लाइओवर से टकराव के नाम पर योजना टलती जा रही है.

5. आज भी अधूरी ही है रांची-टाटा सड़क

राज्य सरकार की कोशिशों के बावजूद एनएच 33 पर रांची-टाटा-महुलिया सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका. झारखंड की लाइफलाइन कही जाने वाली इस सड़क पर पांच वर्षों में 50 प्रतिशत ही काम हो सका. एनएचएआइ ने दिसंबर 2012 में सड़क बनाने का जिम्मा मधुकॉन कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया था.

टेंडर की शर्तों के अनुसार निर्माण कार्य को 4 जून 2015 तक पूरा कर लेना था. लेकिन, इस अवधि में 20 प्रतिशत भी काम नहीं हो सका था. उसके बाद राज्य सरकार ने काम पूरा कराने का काफी प्रयास किया. अंतत: सरकार ने रांची-टाटा रोड का निर्माण कर रहे संवेदक पर राज्य सरकार को कार्रवाई का अधिकार नहीं होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ती दिखायी दी. पथ निर्माण सचिव ने कहा कि रांची-टाटा सड़क केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. राज्य सरकार इसमें केवल सहयोगी की भूमिका में है.

6. विधानसभा भवन में लगी आग

राज्य सरकार ने राज्य गठन के 19 वर्षों बाद किराये की विधानसभा को छोड़ कर नयी विधानसभा बनायी. 12 जून 2015 को राजधानी के धुर्वा में 39 एकड़ जमीन पर नयी विधानसभा भवन का शिलान्यास किया गया. रिकार्ड समय में 465 करोड़ की लागत से बने नये विधानसभा भवन को देश की पहली पेपरलेस विधानसभा भवन के रूप में तैयार किया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुला कर विधानसभा का उदघाटन भी कराया गया. लेकिन, सरकार को हैंडओवर होने के पहले ही नये विधानसभा भवन में आग लग गयी. बड़ा नुकसान हुआ. हालांकि, उसकी भरपाई की जा रही है. लेकिन, आग ने विधानसभा भवन निर्माण के लिए सरकार को मिलने वाली तारीफ का कोटा कम कर दिया.

7. कोनार डैम का नहीं मिला श्रेय

42 सालों से लंबित कोनार नहर परियोजना का उद्घाटन 28 अगस्त को मुख्यमंत्री ने किया. लेकिन उद्घाटन के 12 घंटे के बाद ही कोनार नहर गिरिडीह के बगोदर में टूट गयी. जिससे लाखों की फसल बबार्द हुई. नहर के बहने से विष्णुगढ़ के 19, बगोदर के 35, डुमरी के 22, सरिया के छह, नवाडीह के तीन गांव की फसल बर्बाद हुई. 12 घंटों में डैम टूट गयी थी.

जिसके बाद सरकार और अधिकारियों की ओर से चूहों द्वारा बांध को कुतरे जाने की दलील दी गयी थी. खुद आइपीआरडी ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि बांध चूहों के कुतरने से बही. आज़ादी के बाद से चल रहे इस परियोजना को शुरू करके भी राज्य सरकार इसका श्रेय नहीं ले सकी.

8. नये हाइकोर्ट भवन निर्माण में लगा पेच

नाै फरवरी 2013 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने झारखंड हाइकोर्ट के नये भवन की आधारशिला रखी थी. हालांकि, निर्माण कार्य 18 जून 2015 से शुरू किया जा सका. लेकिन, निर्माण शुरू होते ही वित्तीय अनियमितताएं शुरू हो गयीं.

योजना के लिए 366 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी, लेकिन इसमें से 31 करोड़ रुपये घटा कर टेंडर किया गया. फिर 31 करोड़ का काम तय ठेकेदार मेसर्स रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को बिना टेंडर के ही दे दिया गया. सरकार की जांच कमेटी ने इसे घोर अनियमितता मानते हुए एग्रीमेंट बंद करने की सिफारिश कर दी. उसके बाद से हाईकोर्ट निर्माण का काम काफी धीमा हो गया. अब तक हाईकोर्ट निर्माण का कार्य रूका हुआ ही है.

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