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आरा : लगाये जा रहे कयास, किस करवट बैठेगा ऊंट, अतिपिछड़ा और महादलित वोट बैंक तय करेंगे जीत का रास्ता

मिथिलेश कुमार आरा : आरा हाउस और रमना मैदान स्थित 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह का स्मारक स्थल आरा शहर की हृदयस्थली है. वर्ष 1952 से समाजवादियों का गढ़ माने जाने वाला भोजपुर जिला 80 के दशक में नक्सल प्रभावित जिला के स्वरूप में तब्दील हो गया. नये परिसीमन के […]

मिथिलेश कुमार
आरा : आरा हाउस और रमना मैदान स्थित 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह का स्मारक स्थल आरा शहर की हृदयस्थली है.
वर्ष 1952 से समाजवादियों का गढ़ माने जाने वाला भोजपुर जिला 80 के दशक में नक्सल प्रभावित जिला के स्वरूप में तब्दील हो गया. नये परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्र आरा, संदेश, बड़हरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर तथा शाहपुर सहित सात विधानसभा क्षेत्रों को मिलकर बना. इसके बाद आरा संसदीय क्षेत्र राजपूत बाहुल्य माना जाने लगा.
यही कारण है कि वर्ष 2009 और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में आरा से राजपूत जाति के ही प्रत्याशी लगातार जीतते रहे. आरा सीट पर विकास और जाति का फैक्टर इस बार के चुनाव में हावी हो गया है, जबकि भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सिंह के पक्ष में अतिपिछड़ा और महादलित जातियों के वोट के ध्रुवीकरण को लेकर लगातार एनडीए के स्टार प्रचारक के रूप में अब तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगिआंव के नारायणपुर, संदेश तथा तरारी में चुनाव सभा कर चुके हैं.
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह ने भी आरा में चुनाव सभा की है. बिहार सरकार के कई पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग से आने वाले कैबिनेट मंत्री द्वारा भी लगातार जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है.
दूसरी ओर, महागठबंधन समर्थित भाकपा माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में भी माय समीकरण के साथ- साथ अपने परंपरागत वोट के ध्रुवीकरण को लेकर भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्या द्वारा आरा संसदीय क्षेत्र के लगभग सभी प्रखंडों में चुनाव सभाएं की जा चुकी हैं. राजद के स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव द्वारा भी ख्वासपुर, कोईलवर प्रखंड के जोकटा, मुफ्ती बाजार तथा जगदीशपुर में चुनाव सभाएं की जा चुकी हैं.
यह अलग बात है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के घटक दल जदयू से अलग होकर भाजपा ने चुनाव लड़ा था. बावजूद इसके भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सिंह करीब 1 लाख 35 हजार 870 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. उस वक्त भाकपा माले प्रत्याशी के रूप में राजू यादव ही चुनावी मैदान में थे, जिन्होंने करीब 98 हजार 805 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान प्राप्त किया था. लेकिन, इस बार आरा संसदीय सीट पर मुकाबला आमने-सामने का हो गया है.
दर्द कोई नहीं सुनता
आरा संसदीय क्षेत्र के बड़हरा और शाहपुर के गंगा के तटीय दियारा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे की तरफ कोई प्रत्याशी और पार्टी ध्यान ही नहीं दे रही है, जिसके कारण टोपोलैंड भूमि विवाद के निराकरण के साथ-साथ आर्सेनिक युक्त पानी से मुक्ति दिलाने की मांग पिछले चुनाव से ही उठते रहे हैं. लेकिन, अब तक उसका कोई निदान नहीं निकल पाया है. जिसको लेकर लोगों में जनप्रतिनिधि के प्रति नाराजगी के भाव है. वहीं धान के कटोरा से विख्यात भोजपुर जिले के किसानों के अंदर इस बार भी धान और गेहूं का न्यूनत्तम समर्थन मूल्य नहीं मिलने का दर्द है.
पिछले कई चुनावों से धोबहां, सरैंया, गजराजगंज, सिकरहट्टा और अखगांव को प्रखंड बनाने की मांग उठती रही है. बावजूद इसके किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा इसको लेकर आवाज नहीं उठायी गयी. वहीं आरा शहर के ट्रॉफिक व्यवस्था में सुधार के साथ- साथ शहरी क्षेत्र के पानी निकासी को लेकर सिवरेज सिस्टम को अब तक नहीं बनाया गया है.
सात विस सीटों की तस्वीर
आरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक अगिआंव विधानसभा क्षेत्र पर एनडीए का कब्जा है. जहां से जदयू के प्रभुनाथ प्रसाद एमएलए है. वहीं, महागठबंधन के कब्जा में छह विधानसभा क्षेत्र हैं. जिसमें संदेश से राजद के अरूण यादव, बड़हरा से सरोज यादव, शाहपुर से राहुल तिवारी, जगदीशपुर से राम विशुन सिंह लोहिया तथा तरारी से भाकपा माले के सुदामा प्रसाद विधायक हैं.

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