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बाबू जगजीवन राम जैसे दरख्त के साये में भी चंदवा के दलितों को लग रही अभावों की धूप

आरा से लौटकर अनुज शर्मा बारिश की हल्की-हल्की बूंद गिर रही हैं. चंदवा के एक दलित के घर की ‘छत’ पर पानी पड़ने से आवाज कर रही है. यह छत मिट्टी की दीवार पर बांस के ऊपर पन्नी बिछाकर बनायी गयी है. हवा छत को उड़ा न ले जाये इसलिए दीवार के किनारे-किनारे कुछ पक्की […]

आरा से लौटकर अनुज शर्मा
बारिश की हल्की-हल्की बूंद गिर रही हैं. चंदवा के एक दलित के घर की ‘छत’ पर पानी पड़ने से आवाज कर रही है. यह छत मिट्टी की दीवार पर बांस के ऊपर पन्नी बिछाकर बनायी गयी है. हवा छत को उड़ा न ले जाये इसलिए दीवार के किनारे-किनारे कुछ पक्की ईंट रख गयी हैं. चूल्हे की राख अभी ठंडी नहीं हुई है. इस घर की मालकिन उर्मिला अभी भी चूल्हे पर खाना बनाती है. गर्मी में बिना बिजली पंखा के रहती है. गांव की कई महिलाओं के साथ लोटा लेकर शौच को जाती है. सरकारी हैंडपंप कई घरों के लिए पेजयल का एकमात्र स्रोत है. दरख्तों के साये में धूप भी लगती है, यह देखना हो तो बाबू जगजीवन राम के गांव चंदवा चले जाइये.
दलित बहुल गांव में अभी भी हालात बहुत अच्छे नहीं : भोजपुर जिले के इस दलित बहुल गांव में अभी भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. पूर्व उप प्रधानमंत्री के पक्के घर के सामने ही कई कच्चे घर हैं. ऐसे ही एक घर में उर्मिला रहती है.
हम उसके घर के हालात को कैमरे में कैद करने की कोशिश करते हैं तो वह नगर निगम द्वारा गीला-सूखा कचड़ा रखने के लिए मिले कचड़ा बॉक्स को छिपाने की असफल कोशिश करती है. इसमें कचड़ा क्यों नहीं रखती? हमारे इस पर सहम जाती है. लड़खड़ाती आवाज में कहती है भैया, कचड़ा तो बाहर फेंक आते हैं.
इसमें राशन और जरूरी सामान रख लेते हैं. घर में गैस के नाम पर है क्या? इस सवाल पर चूल्हे के बगल में रखे छोटे सिलिंडर को दिखाती है. पांच किलो के इस सिलिंडर पर ही चूल्हा कसा हुआ है. बगल के कच्चे घर में बिजली तो पहुंची है लेेकिन मीटर के लिए पक्की जगह न होने पर पड़ोसी ने दयालुता में अपनी दीवार में लगवा दिया है. चांद ज्योति को गैस मिल गयी है, शौचालय मिलने की उम्मीद है. साहब हम नगर निगम में आते हैं. सरकार बिजली- राशन का दे रही है लेकिन पक्का घर नहीं दे रही.
सरकार की ओर से दी गयी इस जमीन पर तीसरी पीढ़ी के लोग रह रहे हैं. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि जमीन की डीड होगी तो पक्का मकान मिलेगा. हम डीड कहां से लाएं? चंद्रावती देवी एक सांस में कच्चे घर में रहने की मजबूरी बता देती हैं. वार्ड 14 की पार्षद चंदा देवी के पति महेंद्र बताते हैं कि बाबू जगजीवन राम का घर बंद पड़ा है.
200 बच्चों पर एक टीचर
समाधि स्थल का ताला भी विशेष मौके पर खुलता है. उप स्वास्थ्य केंद्र छह माह से बंद है. टंकी की मोटर चोरी हो चुकी है. लोगों के स्वास्थ्य कार्ड भी नहीं बने हैं. गुड्डू बताते हैं कि एसीएसटी के बच्चों के लिए स्कूल है.
200 बच्चों पर एक टीचर है. स्कूल बाबूजी की समाधि स्थल के सामने सड़क पर लगता है. गणित से पीजी कर रहे राजाराम देश की महान हस्ती के गांव के हालात बयां करने के लिए भाभुक लय से दुष्यंत की कविता सुनाने लगते हैं- कहां तो तय था चिराग हर एक घर के लिए , कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए.

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