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शिक्षकों की कमी से पढ़ाई पर बुरा असर
अगिआंव : अगिआंव स्थित सर्वोदय उच्च विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार के लिए प्राय: नयी-नयी घोषणाएं होते रहती हैं, लेकिन स्थितियों में अब भी सुधार नहीं है. इससे छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ रहा है. शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम शिक्षा से छल अभियान के […]
अगिआंव : अगिआंव स्थित सर्वोदय उच्च विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार के लिए प्राय: नयी-नयी घोषणाएं होते रहती हैं, लेकिन स्थितियों में अब भी सुधार नहीं है. इससे छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ रहा है.
शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम शिक्षा से छल अभियान के तहत ऑन द स्पॉट विद्यालय का जायजा लिया, तो सरकार के दावे खोखले दिखे. विद्यालय में दशम वर्ग के छात्र- छात्राओं की परीक्षा चल रही थी. परीक्षा की वजह से छात्रों की उपस्थिति अच्छी थी, पर सुविधाओं का अभाव दिखा.
शिक्षकों की कमी से बच्चे काफी शोर-गुल कर रहे थे. वहीं शौचालय में ताला लटका हुआ था, जिससे छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. मजबूरी में छात्र-छात्राओं को बाहर जाना पड़ता है. वहीं विद्यालय परिसर में जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. इस कारण कीचड़ फैला रहता है. वहीं कीचड़ व सड़े पानी से दुर्गंध निकलती है. कीचड़ के कारण विद्यालय परिसर में फिसलन की स्थिति भी पैदा हो जाती है. इस कारण छात्र-छात्राओं सहित शिक्षकों को भी आने-जाने में काफी परेशानी होती है. उन्हें हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है. विद्यालय प्रशासन की स्थिति ऐसी है कि शिक्षक व शिक्षिकाएं छात्रों को पढ़ाने के बदले आपस में गप्पे हांकते रहते हैं.
प्रभात खबर की टीम जब पहुंची, तो दो शिक्षिकाएं बैठ कर आपस में बात कर रही थी. विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था की स्थिति काफी दयनीय है. इससे बच्चों के भविष्य पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. भवन की भी स्थिति दयनीय है. भवन की छत से वर्षा का पानी टपकता है. वहीं कार्यालय तथा शिक्षकों के कमरे में कार्य करने में भी काफी बाधा पहुंचती है. विद्यालय में कहने को तो तीन चापाकल हैं, पर दो चापाकल चोरी हो गये हैं. एक चापाकल से ही काम चलाया जाता है. अब तक विद्यालय में न ही पोशाक राशि और न ही छात्रवृत्ति का वितरण हुआ है.
857 छात्र- छात्राओं पर सात शिक्षक
विद्यालय में शिक्षकों की काफी कमी है. 857 छात्र-छात्राओं पर महज सात शिक्षक ही कार्यरत हैं. इन्हीं के द्वारा छात्रों के भविष्य का निर्माण किया जाता है. छात्र-शिक्षक का अनुपात सरकारी आंकड़ों के अनुसार 40 पर एक शिक्षक का है.
जबकि विद्यालय में करीब 100 से अधिक छात्रों पर एक शिक्षक ही कार्यरत हैं. इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार का दावा किया जाता है, पर विभागीय अधिकारियों द्वारा छात्र- शिक्षक अनुपात को सरकारी मानदंड के अनुसार पूरा नहीं किया जा रहा है.
शौचालय में लटका है ताला : विद्यालय में शौचालय का निर्माण कराया गया है,लेकिन शौचालय में विद्यालय प्रबंधन द्वारा ताला बंद करके रखा जाता है. इस कारण छात्र शौचालय का उपयोग नहीं कर पाते हैं.
इससे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना भी प्रभावित रही है. वहीं शौचालय निर्माण व उसकी उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो जाता है. बच्चे जब बाहर ही जायेंगे, तो शौचालय निर्माण का अर्थ क्या रह जायेगा.
परिसर में रहता है जलजमाव व गंदगी : स्कूल परिसर में हर तरफ गंदगी ही नजर आ रही थी. परिसर में बड़े- बड़े घास लगे हुए थे. परिसर में जलजमाव व कीचड़ से शिक्षकों तथा छात्रों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है. पानी की निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
वहीं विद्यालय प्रबंधन द्वारा इसके लिए कोई उपाय नहीं किया जा रहा है. इसके कारण विद्यालय की स्वच्छता पर ग्रहण लगा हुआ है. घास के कारण काफी मच्छर हो गये हैं. इससे कई तरह की बीमारियों का भय व्याप्त है. साफ-सफाई के लिए सरकार का काफी जोर है, पर विद्यालय जैसे ज्ञान के मंदिर में भी गंदगी होगी, तो सरकार के अभियान का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.भवन की हालत है जर्जर : विद्यालय भवन की हालत काफी जर्जर है. भवन कई जगह टूट-फूट गया है.
वहीं फर्श भी कई जगह टूटा-फूटा है. छत का हालात ऐसा है कि बरसात में छत से पानी टपकते रहता है. इस कारण छात्रों को पढ़ने में काफी परेशानी होती है. इसकी मरम्मत नहीं करायी जा रही है. जबकि सरकार विद्यालयों के संसाधनों पर काफी जोर देती है. इस हालात में भी विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है तथा विद्यालय भवन के मरम्मत के लिए कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. इससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है.
विद्यालय में हैं 10 कमरे : विद्यालय में 10 कमरे हैं. छात्रों की संख्या के अनुसार सेक्शन बना कर पढ़ाई की जाती है. विद्यालय में कमरों के मामले में स्थिति अच्छी है. पर शिक्षकों की कमी, कमरों की उपलब्धता की उपयोगिता को बेकार कर देती है.
अब तक नहीं मिली है पोशाक व छात्रवृत्ति की राशि
विद्यालय के छात्र-छात्राओं को अब तक पोशाक की राशि नहीं मिल पायी है. वहीं छात्रवृत्ति की राशि भी नहीं मिल पायी है, जबकि वर्तमान शैक्षणिक सत्र को शुरू हुए लगभग तीन माह हो गये. बिना ड्रेस के छात्र व छात्राएं किस तरह विद्यालय जायेंगे.
यह सोचनीय विषय है. जबकि सरकार ने ड्रेस कोड का नियम लागू किया गया है. सरकार द्वारा अपने ही कानून का उल्लंघन किया जा रहा है. इससे छात्र-छात्राओं के उत्साह पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिलने से छात्र-छात्राओं में निराशा की स्थिति है. सरकार के इस कदम से छात्र व छात्रा हतोत्साहित हो रहे हैं.
क्या कहते हैं एचएम
विद्यालय में सुविधाओं का काफी अभाव है. यहां सभी विषयों के अलग-अलग शिक्षक नहीं है. विज्ञान और गणित के शिक्षक नहीं होने से छात्रों की पढ़ाई पर काफी विपरीत असर हो रहा है. इसके लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. सीमित संसाधनों में अच्छी पढ़ाई का प्रयास किया जा रहा है.
शैलेंद्र कुमार, प्रधानाध्यापक
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