भागलपुर : जिन पेड़ों की छांव में शहर का बचपन बीता. जवानी ने जिनकी बांहों में झूला डाल कजरी-सावन के गीत गाते नेह के पींगे बढाये. इन बूढ़े दरख्तों ने ब्रिटिश हुकूमत का जुल्मी चेहरा देखा, तो देश की आजादी की पहली भोर भी. अब यह पेड़ अपनों की बेरुखी का दंश झेल रहे हैं. विकास की राह पर सरपट दाैड़ रहे भागलपुर शहर स्थित 125 से 150 साल पुराने पेड़ों में करीब 55 से 60 ऐसे पेड़ हैं, जो अपनी जड़ों से उखड़ने को हैं. अगर यहीं रवैया रहा, तो आम शहरियों की फेफड़ों में मौजूद ऑक्सीजन की जगह जहरीले धुंआ का बसेरा होने लगेगा और शहर की जिंदगी दावं पर लग जायेगी.
शहर स्थित सैंडिस कंपाउंड के चारों ओर या शहर में दिखने वाले विशालकाय पेड़ सौ वर्ष से अधिक पुराने हैं. इन पौधों की हरियाली को दीमक चाट रहे हैं, जिससे ज्यादातर पेड़ दम तोड़ने लगे हैं. अभी दो दिन पहले सैंडिंस परिसर में लगे विशालकाय सह प्राचीन महोगनी के दो पेड़ देखरेख के अभाव में दम तोड़ दिये. विश्वविद्यालय परिसर में करीब आठ से 10 की संख्या में पीपल, बरगद व पाकड़ के पेड़ हैं, जिनका रखरखाव न होने से उनके जड़ दिखने लगे हैं. कचहरी चौक, पुलिस लाइन के सामने, बरारी रोड, मनाली चौक से कचहरी रोड पर दर्जनों की संख्या में 125 से 150 साल पुराने पीपल, बरगद, पाकड़ आदि के पेड़ हैं, जो अब वक्त की मार के आगे बेदम होने को हैं.