24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विदेश तक पहुंचने लगी नवगछिया की लीची

नवगछिया : मौसम का पूरी तरह साथ नहीं मिलने और आंधी-बारिश से क्षति होने के बाद भी नवगछिया अनुमंडल में इस बार लीची की फसल देख किसान से लेकर व्यापारी तक खुश हैं. इलाके में बड़े पैमाने पर लीची का कारोबार शुरू हो गया है. बागानों में देस के विभिन्न हिस्से से व्यापारी पहुंचने लगे […]

नवगछिया : मौसम का पूरी तरह साथ नहीं मिलने और आंधी-बारिश से क्षति होने के बाद भी नवगछिया अनुमंडल में इस बार लीची की फसल देख किसान से लेकर व्यापारी तक खुश हैं. इलाके में बड़े पैमाने पर लीची का कारोबार शुरू हो गया है. बागानों में देस के विभिन्न हिस्से से व्यापारी पहुंचने लगे हैं. कई किसान खुद भी लीची को देश की विभिन्न मंडियों में भेज रहे हैं.

देसी प्रजाति तैयार : नवगछिया में मुख्यत: देसी व मनराजी प्रजाति की लीची होती है. देसी लीची पर पूरी तरह से लाली चढ़ गयी है. देश की विभिन्न मंडियों में इसकी मांग जोर पकड़ने लगी है. किसानों का कहना है कि बारिश के बाद देसी लीची से खटास दूर हो गयी है और दाने भी पुष्ट हो गये हैं. नवगछिया जीरोमाइल, बस स्टैंड,
बिहपुर के झंडापुर इमली चौक, बिहपुर का गोल बाजार, नारायणपुर के मधुरापुर बाजार स्थित सब्जी मंडी, रंगरा चौक में लीची मिलने लगी है. लोग बागानों में जाकर भी लीची खरीद रहे हैं.
देवघर मंडी पहुंच रही पकरा की लीची
नवगछिया के पकरा से झारखंड के देवघर की मंडी भेजी जा रही है. किसान खुद से लीची भेज रहे हैं. किसान बबलू सिंह कहते हैं अपने से लीची मंडियों में भेजना थोड़ा जोखिम भरा काम होता है, लेकिन इसमें मुनाफा ज्यादा होता है.
खरीक और बिहपुर पहुंच रहे बंगाल के व्यापारी : बिहपुर और खरीक प्रखंडों में बड़े पैमाने पर लीची की पैदावार होती है. यहां के बागानों में बंगाल के व्यापारी पहुंच रहे हैं. तेलघी गांव पहुंचे पश्चिम बंगाल के मालदा के व्यापारी देवोजीत ने बताया कि वह हर वर्ष अपने सहयोगियों के साथ करीब डेढ़ माह नवगछिया इलाके में ही रहते हैं.
यहां के किसानों से लीची खरीद कर बंगाल की मंडियों में भेजते हैं. मंडियों से लीची देश के अन्य शहरों की मंडियों में पहुंचायी जाती है. यहां की लीची विदेश भी भेजी जाती है.
मजदूरों को भी मिल रहा रोजगार
लीची और आम के सीजन में दैनिक मजदूरों को भी अच्छा रोजगार मिल जाता है. ज्यादातर दैनिक मजदूर परंपरागत काम छोड़ कर लीची बगानों में लीची तोड़ने और गुच्छे बनाने का काम कर रहे हैं. इस काम में महिला मजदूरों को काम मिलता है. खासकर लीची के गुच्छे बनाने और गिनती करने का काम महिलाएं करती हैं. इस काम में मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से अधिक पैसे मिल जाते हैं. यही कारण है कि इलाके में इन दिनों अन्य काम के लिए दिहाड़ी मजदूर नहीं मिल रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें