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वाहनों से दो गुणा अधिक चालक

स्मार्ट सिटी . हर माह होता है 500 वाहनों का रजिस्ट्रेशन धीरज भागलपुर : स्मार्ट सिटी में वाहनों से दो गुणा अधिक चालक तैयार हो रहे हैं. शहर में हर माह औसतन 500 दोपहिया, तिपहिया व चौपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है जबकि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए प्रतिमाह करीब एक हजार शहरवासी परिवहन […]

स्मार्ट सिटी . हर माह होता है 500 वाहनों का रजिस्ट्रेशन
धीरज
भागलपुर : स्मार्ट सिटी में वाहनों से दो गुणा अधिक चालक तैयार हो रहे हैं. शहर में हर माह औसतन 500 दोपहिया, तिपहिया व चौपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है जबकि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए प्रतिमाह करीब एक हजार शहरवासी परिवहन विभाग पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि ड्राइविंग का शौक युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है. बाइक लेकर सड़कों पर फर्राटा लगाने की हसरत के कारण परिवहन विभाग में लाइसेंस बनवाने वालों में दो तिहाई युवा दस्तक दे रहे हैं. डीएल बनवाने वालों में 70 फीसदी से अधिक युवाओं की उम्र 18 से 30 के बीच की होती है. स्कूटी-कार चलाने वाली लड़कियां भी अब डीएल लेकर चलती हैं.
हर माह 50 से अधिक महिलाएं लाइसेंस बनवा रही हैं.
लर्निंग के 30 दिन बाद परमानेंट के लिए आवेदन :वाहन दौड़ाने से पहले डीएल बनवाने के लिए लोगों को परिवहन विभाग की दौड़ लगानी होती है. लर्निंग के 30 दिन बाद परमानेंट डीएल के लिए आवेदन देना होता है. लर्निंग के लिए दोपहिया व चौपहिया वाहन चालकों को 280 से 480 रुपये जबकि परमानेंट के लिए 1280 रुपये का चालान जमा करना होता है. लर्निंग से परमानेंट डीएल बनाने तक करीब दो माह का समय लग जाता है. इतने दिनों में भी डीएल पाने वाले कम ही खुशनसीब होते हैं.
लर्निंग सर्टिफिकेट के लिए दो स्कूल : ड्राइविंग एक्सपेरिएंस यानी लर्निंग सर्टिफिकेट के लिए दो स्कूल हैं. खंजरपुर व जीरोमाइल स्थित दोनों स्कूल से सर्टिफकेट मिलते हैं. लर्निंग के बाद परमानेंट डीएल के लिए ड्राइविंग टेस्ट होता है.
दो आइडी प्रूफ : डीएल बनाने के लिए दो आइ डी प्रूफ चाहिए. जन्म प्रमाणपत्र, वोटर या आधार कार्ड के अलावा लोकल आइडी प्रूफ भी अनिवार्य है. लर्निंग व परमानेंट में एक समान ही प्रूफ जमा करवाना होता है.
भागलपुर : स्मार्ट सिटी में स्पोर्ट्स को तवज्जो दिया जा रहा है, जबकि ट्रैफिक को नजरअंदाज कर दिया गया है. हकीकत में शहर की छह लाख जनता रोज ट्रैफिक की समस्या से जूझ रही हैं. वाहनों की दिनोंदिन बढ़ रही संख्या से सड़कें सिकुड़ती जा रही हैं. स्मार्ट सिटी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की शनिवार को हुई बैठक में 16 अहम प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी, लेकिन ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई है. जनता की मानें तो सबसे अधिक लोग ट्रैफिक की समस्या से ही परेशान हैं. आवागमन की बेहतर सहूलियत नहीं है. जाम से दिनभर लोगों का पसीना निकल रहा है. न पार्किंग की व्यवस्था है न ही माॅडर्न ट्रैफिक सिग्नल लाइटें ही शहर में लग पायी हैं. रिक्शा व ऑटो स्टैंड भी नहीं बन पाये हैं.
सरपट दौड़ रहे हैं बिना कोडिंग के ऑटो : ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन के द्वारा छह रूटों को चिह्नित कर 1300 से अधिक ऑटो की कोडिंग तो की गयी पर यह फार्मूला भी फुस्स हो गया है. बिना कोडिंग वाले ऑटो अभी भी धड़ल्ले से सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं. नियमानुसार ऑटो पर कलर कोड व रूट लिखा होना जरूरी है. यही नहीं वाहन का नंबर आगे पीछे भी लिखा जाना चाहिये. ऑटो की दायी ओर सेफ्टी के लिए रॉड भी लगाना होगा. निर्धारित रूट पर ही ऑटो चलाना होगा. अभी भी सैकड़ों ऑटो नियमों का नजरअंदाज कर सड़कों पर दौड़ रहे हैं.
जुर्माना भी बेअसर : जिला परिवहन विभाग व पुलिस प्रशासन द्वारा बिना कोडिंग वाले ऑटो के खिलाफ अभियान चलाया गया. करीब सौ की संख्या में ऑटो जब्त किये गये. जुर्माना भी किया गया. जनता को राहत भी मिली. अभियान बंद होते ही स्थित जस की तस है. हैरानी तो इस बात की है कि शहर का ऑटो दूसरे इलाकों में जा रहा है. नवगछिया की ओर से शहर में आने वाले ऑटो को जीरोमाइल में ही रोक दिया जाता है.

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