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सभी ‘लाउड’ चीजों पर एक साथ लगे रोक

भागलपुर : सोशल मीडिया पर इन दिनों सोनू िनगम के ट्वीट व उस पर लोगों की प्रतिक्रिया छायी हुई है. दरअसल एक मौलवी के द्वारा सिर मुंडवाने और इसके लिए 10 लाख देने की बात कही गयी थी. इस पर सोनू निगम ने सिर मुंडवा लिया. उन्होंने अपने ट्वीट को लेकर यह कहा है कि […]

भागलपुर : सोशल मीडिया पर इन दिनों सोनू िनगम के ट्वीट व उस पर लोगों की प्रतिक्रिया छायी हुई है. दरअसल एक मौलवी के द्वारा सिर मुंडवाने और इसके लिए 10 लाख देने की बात कही गयी थी. इस पर सोनू निगम ने सिर मुंडवा लिया. उन्होंने अपने ट्वीट को लेकर यह कहा है कि लाउडस्पीकर की जरूरत नहीं वाले मामले में उन्होंने धर्मस्थलों की बात की है. वह मंदिर, मसजिद और गुरुद्वारा सभी हो सकता है.कुछ लोगों ने उनकी बात का समर्थन किया, तो कुछ लोगों ने विरोध.

कई पढ़े-लिखे लोगों ने इस बात पर गंभीरता से विचार किया और अपनी बात रखी. ऐसे लोगों ने यही कहा कि मसजिदों का अजान भी उतना ही कर्णप्रिय है, जितनी मंदिरों की घंटी और भजन. बस इन दोनों को जब लाउड स्पीकर से कान फोड़ू आवाज में सुनाया जाये, तो यह तकलीफदायक हो जाता है. ऐसे में सरकार को बिना किसी धर्म से भेदभाव किये सभी के लिए कठोर नियम बनाने चाहिए. कुछ ने यह भी कहा कि ‘लाउड स्पीकर से होनेवाले शोर और उससे जुड़ी तकलीफ को फिर धर्म की आड़ में दबा दिया जा रहा है.

केस 1 – विनिता कहती हैं, हमारे घर के पास एक बहुत ही धार्मिक परिवार है. उनके घर में ही बड़ा मंदिर है. उनकी माताजी हर हफ्ते भजन, जागरण जैसे प्रोग्राम करवाती हैं. ऐसे में ढेर सारी महिलाएं इकट्ठा होती हैं और माइक पर जोर-जोर से भजन गाती हैं. भजन अगर सुरीले आवाज में होते, तो सहन भी किये जा सकते थे. लेकिन महिलाएं बहुत ही कर्कश आवाज में गाती हैं. इससे कान के परदे फट जाते हैं.
केस 2 – विकास कहते हैं, मेरी मोबाइल शॉप के पास शॉपिंग मॉल या अन्य प्रतिष्ठान की प्रचार गाड़ी लगा दी जाती है. दिन में कई बार बेसुरी और हार्श आवाज में ऑफर… ऑफर… ऑफर… चलता रहता है. साड़ी पर 30 परसेंट की छूट, एक की खरीदी पर एक टी शर्ट फ्री… जैसे ऑफर लगातार सुन-सुन कर दिमाग पक जाता है. सरस्वती पूजा, गणेश पूजा के टाइम बजने वाले डीजे और शादी के वक्त जोर-जोर से बजने वाले भोजपुरी गानों पर रोक लगनी चाहिए.
लोगों ने कहा, अजान-भजन दोनों कर्णप्रिय, बस कान फोड़ू आवाज में न बजें
सोनू निगम ने किसी मजहब या उसके संदेश पर कोई निशाना नहीं साधा है, जैसा कि कुछ लोग भड़क गये हैं. सोनू के शब्दों को रैशनली लेने की जरूरत है. सोनू ने केवल लाउडस्पीकर से होने वाले शोर को लेकर सवाल उठाये हैं.
विजय कुमार झा, समाजसेवी
शोर हमें भी पसंद नहीं है. बड़े-बड़े लाउड स्पीकर ने तो सिवाय उत्पात मचाने के कुछ किया भी नहीं है. गांव में शिवचर्चा का शोर बहुत है. चार घंटों का महिलाओं का यह शोर मालूम नहीं कितनी देर चले.
मारुति नंदन मिश्रा, व्यवसायी
यह बात सही है कि कानफाड़ू आवाज से काफी मुश्किलें खड़ी होती रहती हैं. बच्चे बूढ़े जवान सभी डिस्टर्ब होते हैं. बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. इस कारण चाहे कोई भी धर्मस्थल हो, लाउडस्पीकर का वॉल्यूम एक सीमा में रहे.
प्रो कामिनी दुबे, शिक्षक, सबौर कॉलेज
कांकर पाथर जोड़ी के…जैसे दोहे लिखने का साहस क्या कबीर दास जैसा किसी में है. सचमुच हम पढ़-लिख तो लिये, लेकिन हमारी मानसिकता दिन-प्रतिदिन कुत्सित होती गयी.
संतोष दुबे, शिक्षक
हॉर्न का उपयोग शांत परिक्षेत्र या रात्रि के समय आवासीय क्षेत्रों में सार्वजनिक आपात के सिवा नहीं किया जायेगा.
रात में ध्वनि उत्पन्न करनेवाली मशीनें शांत परिक्षेत्र व आवासीय परिक्षेत्र में नहीं चलायी जायेंगी.
लाउड स्पीकर या अन्य लोक संबोधन प्रणाली का प्रयोग केवल तभी किया जायेगा, जब प्राधिकारी से लिखित अनुज्ञा ली गयी हो. प्रेक्षागृह, सम्मेलन कक्ष, सामुदायिक हॉल जैसे बंद परिसर के बाहर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक लाउड स्पीकर नहीं चला सकते.
किसी धार्मिक पर्व पर सरकार रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को बढ़ा सकती है.
सार्वजनिक स्थान पर लाउड स्पीकर का ध्वनि स्तर उस परिक्षेत्र के लिए निर्धारित ध्वनि स्तर से 10 डेसिबल और निजी स्वामित्व वाले स्थान में पांच डेसिबल से अधिक न हो.
शांत क्षेत्र में संगीत बजाने, ड्रम पीटने या किसी भी तरह का ऐसा प्रदर्शन जिसमें मानक सीमा से अधिक शोरगुल हो, की इजाजत नहीं है.
दिन या रात में परिक्षेत्र के लिए निर्धारित सीमा से 10 डेसिबल अधिक का ध्वनि स्तर होने पर कोई भी व्यक्ति प्राधिकारी को शिकायत कर सकता है.

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