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बीएयू ने नया फाॅस्फोरस तैयार किया

सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर का नैनो टेक्नाेलॉजी विभाग नये तरह के फासफोरस का निर्माण किया है, जो आने वाले समय में किसानों के लिए वरदान साबित होगा. विभाग विश्व का ध्यान भी आकर्षित करने में सफल रहा है. बिहार ही नहीं देश के किसानों के लिए भी यह एक अच्छी खबर है. प्रयोगशाला […]

सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर का नैनो टेक्नाेलॉजी विभाग नये तरह के फासफोरस का निर्माण किया है, जो आने वाले समय में किसानों के लिए वरदान साबित होगा. विभाग विश्व का ध्यान भी आकर्षित करने में सफल रहा है. बिहार ही नहीं देश के किसानों के लिए भी यह एक अच्छी खबर है. प्रयोगशाला से फर्म तक इसके सफल प्रयोग हो रहे हैं.

किसानों के खेतों पर यह प्रयोग ले जाने की तैयारी है. अपनी टेक्नाेलॉजी को विश्वविद्यालय किसी बड़ी कंपनी से टाइअप करवाने पर पहल करेगी. किसानों को आसानी से यह फर्टिलाइजर मिलेगी इसकी पूरी संभावना बन रही है. विश्व के विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक फासफोरस का कच्चा माल राक फासफेट समाप्त हो जायेगा. इससे इसका उपयोग कम और ज्यादा उत्पादन के सोच पर उक्त अनुसंधान का महत्व बढ़ गया है.
नैनो टेक्नोलॉजी का दूसरा आगाज
अविष्कार: नैनो टेक्नोलॉजी आधारित फास्फोरस किसानों के लिए वरदान
2030 तक विश्व में फासफोरस का कच्चा माल हो सकता है समाप्त
विश्वविद्यालय के ताजा अनुसंधान का किसानों को सीधे मिलेगा फायदा
क्या होगा इससे किसानों का फायदा : आने वाले समय में किसानों को यह फर्टिलाइजर कम कीमत में गुणवत्तापूर्ण उपलब्ध होगा. किसान अपनी फसलों पर कम से कम उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करेंगे, जिससे कम खर्च में आय बढ़ेगी.
नैनो टेक्नोलॉजी द्वारा इजाद फासफोरस का प्रयोगिक सफलता यह एहसास करा रहा है कि यहां के टेक्नोलॉजी देश के किसानी में अपनी धमक बनायेगी. किसानों की समृद्धि ही रिसर्च का उद्देश्य है. बहुत जल्द अब किसानों के खेतों पर इसका प्रयोग किया जायेगा.
डॉ अजय कुमार सिंह, कुलपति, बीएयू सबौर
अणु व परमाणु बम बनाने वाली नैनो टेक्नाेलॉजी पर आधारित नया फासफोरस का निर्माण किया जा रहा है. बाजार में मिलने वाला फर्टीलाइजर फासफोरस में 15 से 20 प्रतिशत फासफोरस पाया जाता है. इस फॉसफोरस में 30 से 35 प्रतिशत फासफोरस पाया गया है. बारीक होने से फसल में यह ज्यादा असरदार होता है. इसके कम मात्रा में देने पर भी इसका ज्यादा असर होता है.
बीएयू के नये अनुसंधान में खास
पंजाब के लुधियाना व राजस्थान के जोधपुर में भी फासफोरस पर अनुसंधान हो रहे हैं, लेकिन यह अनुसंधान माइक्रो बेस पर आधारित है. लेकिन बीएयू का रिसर्च फिजिकल बेस पर आधारित है, जिससे किसान सीधे लाभांवित होंगे.
अनुसंधान की क्यों हुई आवश्यकता
अनुसंधान पर काम कर रहे वरीय व युवा वैज्ञानिक निन्टू मंडल व श्रीमती कस्तुरीकासे बेवड़ा के अनुसार विश्व में फासफोरस राक फासफेट के कच्चा माल से बनाया जाता है. राक फासफेट रसीया, मोरक्को व यूएस में पाया जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक बेहतर क्वालिटी वाले राक फासफेट समाप्त होने की संभावना है. अपने देश में राजस्थान के उदयपुर, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, उत्तराखंड के मंसूरी में राक फासफेट मिलते हैं, लेकिन वह गुणवत्तापूर्ण नहीं है. ऐसी स्थिति में नैनो टेक्नोलॉजी आधारित फासफोरस का कम उपयोग से ज्यादा उत्पादन हो सकता है.

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