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रेलवे आरओबी की वजह से फंस सकता है बाइपास

डिजाइन को मंजूरी देने में कर रहा टालमटोल भागलपुर : भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए जेनरल एरेंजमेंट ड्राइंग, तो नाथनगर में बाइपास एलाइनमेंट पर आरओबी बनाने के लिए सेफ्टी डिजाइन को मंजूरी रेलवे नहीं दे रहा है. यानी दोनों बड़ी परियोजना के कार्यान्वयन में लगभग एक ही समस्या आ रही है. भोलानाथ […]

डिजाइन को मंजूरी देने में कर रहा टालमटोल

भागलपुर : भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए जेनरल एरेंजमेंट ड्राइंग, तो नाथनगर में बाइपास एलाइनमेंट पर आरओबी बनाने के लिए सेफ्टी डिजाइन को मंजूरी रेलवे नहीं दे रहा है. यानी दोनों बड़ी परियोजना के कार्यान्वयन में लगभग एक ही समस्या आ रही है. भोलानाथ फ्लाई ओवर ब्रिज के लिए पुल निर्माण निगम के अभियंता मालदा रेल डिवीजन कार्यालय की दौड़ लगा रहे हैं. इधर, बाइपास पर आरओबी के लिए जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट के अधिकारी.
बाइपास निर्माण में परेशानी
बाइपास के लिए नाथनगर में आरओबी बनना है. आरओबी के पीलर के लिए पाइलिंग का काम होना है. मगर, रेलवे का ट्रैक ऊंचा है. शीट पाइल से ट्रैक धंसने का खतरा है. सेफ्टी के ख्याल से इसकी डिजाइन को स्वीकृति के लिए मालदा रेल डिवीजन कार्यालय को भेजा है. लगभग दो माह बाद भी सेफ्टी डिजाइन को स्वीकृति नहीं मिल सकी है. इसके चलते पाइलिंग का काम शुरू नहीं हो सका है. यानी, आरओबी का निर्माण रुका है. आरओबी निर्माण के नाम पर केवल ट्रैक के उत्तर में एक-एक पाया तैयार हो सका है. रेलवे की जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हो सका है.
दूसरी ओर पीलर तैयार भी हो जाता है, तो गटर लांचिंग के दौरान सीआरएस जांच की जरूरत पड़ेगी. इसको लेकर भी स्वीकृति मिलने की आवश्यकता है. आग्रह पत्र इस्टर्न रेलवे, कोलकाता के पास पेडिंग है. इसके अलावा दूसरी जगहों पर बाइपास के लिए सुपरस्ट्रक्चर का कार्य प्रगति पर है.
भोलानाथ एफओबी का निर्माण
रेलवे को जेनरल एरेंजमेंट ड्राइंग की स्वीकृति के लिए भेजने से लगभग साल भर हो गया है. जब तक ड्राइंग को स्वीकृति नहीं मिल जाती है, तब तक एफओबी निर्माण की योजना का नये सिरे से डीपीआर नहीं बन सकता है. ऐसे भी यह तीसरी बार है, जो कि डीपीआर बनेगा. इससे पहले साल 2009 एवं साल 2014 में डीपीआर बना था. रेलवे से एनओसी नहीं मिलने से डीपीआर को रिवाइज करना पड़ा. अब ड्राइंग के कारण यह फंसा है.
बाइपास के एलाइनमेंट पर नाथनगर में आरओबी बनना है. मगर, रेलवे का ट्रैक ऊंचा है. पाइलिंग के दौरान धंस सकता है. इसके लिए दो माह पहले रेलवे को सेफ्टी डिजाइन भेजा है, मगर अबतक स्वीकृति नहीं मिली है. सीआरएस जांच की भी आवश्यकता है. यह भी पेडिंग पड़ा है.
राकेश कुमार श्रीवास्तव
हेड पीआरओ, जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड

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