बताते हैं आंकड़े, बिहारियों में कितनी एकजुटता
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बिहार में खींची ”रेखा” छोटी करना मुश्किल
बताते हैं आंकड़े, बिहारियों में कितनी एकजुटता भागलपुर : स्कूलों में कमोबेश हर गुरुजी अपने बच्चों के सामने कॉपी पर एक रेखा खींच उसे छोटी करने की चुनौती जरूर देते हैं. अधिकतर बच्चे पहले उसे रबड़ से मिटाने का प्रयास करते हैं. बाद में गुरुजी उन्हें बताते हैं कि कोई भी रेखा तभी छोटी हो […]
भागलपुर : स्कूलों में कमोबेश हर गुरुजी अपने बच्चों के सामने कॉपी पर एक रेखा खींच उसे छोटी करने की चुनौती जरूर देते हैं. अधिकतर बच्चे पहले उसे रबड़ से मिटाने का प्रयास करते हैं. बाद में गुरुजी उन्हें बताते हैं कि कोई भी रेखा तभी छोटी हो सकती, जब उसके बगल में बड़ी रेखा खींच दो. बिहार ने 21 जनवरी को सड़कों पर 11,400 किलोमीटर की मानव शृंखला के रूप में सबसे बड़ी रेखा खींच एक ऐसी चुनौती दुनिया के सामने रख दी है, जिसे छोटी कर पाना मुश्किल है. हालांकि कोई रिकॉर्ड बनता है टूटने के लिए. लेकिन ऐसा लगता है कि बिहार द्वारा बनाया गया यह रिकॉर्ड टूट नहीं पायेगा.
दुनिया में अब तक जो बड़ी मानव शृंखला बनी है, उनमें सबसे बड़ी मानव शृंखला बिहार में बनी. तीन करोड़ बिहारियों ने एक-दूसरे का हाथ थाम यह साबित कर दिया कि दुनिया में ऐसी एकजुटता कहीं और नहीं हो सकती. यह भी दिखा दिया कि हममें कोई ऊंच, कोई नीच नहीं. कौन किसका हाथ थामा था, उसमें कहीं कोई बैर-भाव नहीं था.
बिहार में बनी मानव शृंखला
21 जनवरी 2017 : बिहार में नशे के खिलाफ 11,400 किलोमीटर की मानव शृंखला में तीन करोड़ लोग शामिल हुए.
बिहार से पहले की 10 सबसे बड़ी मानव शृंखला
11 दिसंबर 2004 : सबसे बड़ी मानव शृंखला बांग्लादेश में तेनकान से तेंतुलिया तक बनी थी. अवामी लीग ने तत्कालीन सरकार को बरखास्त कर फिर से चुनाव कराने के लिए 1050 किमी लंबी मानव शृंखला बनायी थी. इसमें 14 विपक्षी दलों के नेताओं सहित छह करोड़ 52 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था.
02 अक्तूबर 2009 : केरल के सीपीएम पार्टी की अगुआई में 40 लाख लोगों ने मानव शृंखला बनायी थी. यह एशियन और आफ्टा के बीच हुए समझौते के खिलाफ था.
29 दिसंबर 2016 : केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोरचा (एडीएफ) ने नोटबंदी के खिलाफ 700 किमी लंबी मानव शृंखला बनायी. यह शृंखला यहां के राजभवन से कासरगोड तक बनायी गयी थी, इसमें 10 लाख लोग भागीदार बने थे.
01 अक्तूबर 2015 : संविधान संशोधन के लिए मधेशी आंदोलनकारियों ने मेची से महाकाली तक 1200 किमी लंबी मानव शृंखला बनाकर आवाज बुलंद की.
1983 : इंग्लैंड के बर्कशायर में 80 हजार लोगों ने मानव शृंखला बनायी थी. उस वक्त अमेरिका पश्चिम जर्मनी में परमाणु मिसाइलों से हमला करने की तैयारी में था. इसी के विरोध में इंग्लैंड में मानव श्रृंखला बनायी गयी थी.
25 मई 1986 : अमेरिका में 50 लाख लोगों ने मानव शृंखला बनायी थी. यह लोग युद्ध पीड़ितों के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए एकत्र हुए थे.
23 अगस्त 1989 : एस्तोनिया, लात्विया और लिथुआनिया की पूर्ण आजादी के लिए बाल्टिक राज्य के लोगों ने मानव शृंखला बनायी थी. इसमें 20 लाख लोग शामिल हुए थे.
21 जनवरी 1990 : यूक्रेन में पूर्ण गणतंत्र के लिए मानव शृंखला बनायी गयी थी. इसमें करीब 30 लाख लोग शामिल हुए थे.
1997 : 12वें युवा दिवस पर फ्रांस की राजधानी पेरिस में 36 किमी मानव शृंखला बनायी गयी थी. वह दुनिया में शांति का संदेश देने के लिए शृंखला बनायी थी.
16 मई 1998 : इंग्लैंड के बर्मिंघम में जुबली 2000 के नाम से मानव शृंखला का आयोजन किया गया. इसमें एक लाख लोगों ने हिस्सा लिया था. वह जी 8 समिट में गरीब देशों पर लोगों का ध्यान खींचने के लिए शामिल हुए थे.
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