भागलपुर : हरिदासपुर में गजब की व्यस्तता है. हर महकमे के अधिकारी और कर्मचारी की जमात. स्वत: स्फूर्त गति से हो रहा काम. कहीं सड़क बन रही है तो कहीं नल लगाये जा रहे हैं. कहीं नाला बनाया जा रहा है तो कहीं बिजली के तार पोल पर ठीक किये जा रहे हैं. जगह-जगह स्वच्छ पानी के लिए टंकी बना कर उसे जांचा जा रहा है. स्वास्थ्य उपकेंद्र में रोगियों को डॉक्टर जांच रहे हैं. सभी को दवाइयां मिल रही हैं. हरिदासपुर को देख कर शादी का घर याद आ गया. पूरा घर जैसे एक खुशनुमा माहौल की तैयारी में एक साथ व्यस्त हो जाता है, प्रशासनिक महकमा उसी तरह व्यस्त है. हरिदासपुर को एक उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है. एक गांव का एक सप्ताह में इस तरह कायाकल्प हो जाना, यकीन नहीं होता. प्रशासनिक व विभिन्न सरकारी महकमे की अगर मुस्तैदी बनी रहे
तो कितनी सहजता से तसवीरें बदल जाती हैं, इसका भी अनुभव होता है. ग्रामीण सुकून के साथ अपने दरवाजे पर धूप सेंकते और अधिकारी व कर्मचारी विभिन्न कामों में लगे पसीना बहाते. यह दुर्लभ दृश्य है. विकास कार्यों की परिकल्पना शायद हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने इसी दृश्य को ध्यान में रख कर किया होगा. जब गांव पहुंच कर सरकारी बाबू आपसे पूछे- आपके घर बिजली कनेक्शन नहीं है तो लगा दूं. साफ पानी के लिए आपके घर में नल का कनेक्शन लग रहा हो. जिन जर्जर सड़कों पर चलते हड्डियां कीर्तन करने लगती थी, वह सड़क रातों-रात बन जायें. और इस सबके लिए आपने कार्यालय के चक्कर काट-काट कर एड़ियां नहीं घिसी हों. फिलहाल हरिदासपुर तो उदाहरण है. कई गांव के लोग उस दिन की राह ताक रहे हैं, जब उनके गांव की तसवीर भी रातों-रात हरिदासपुर की तरह बदल जायेगी.