भागलपुर: भागलपुर जिले में भी माओवादी सक्रिय हो गये हैं. इसका बड़ा खुलासा प्रह्लाद उर्फ प्रमोद वर्णवाल की गिरफ्तारी के बाद हुआ है. पुलिस उससे भागलपुर कनेक्शन भी तलाश रही है. पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि भागलपुर शहर में भी प्रमोद वर्णवाल का आना-जाना होता था. वह विवि क्षेत्र के साथ ही […]
भागलपुर: भागलपुर जिले में भी माओवादी सक्रिय हो गये हैं. इसका बड़ा खुलासा प्रह्लाद उर्फ प्रमोद वर्णवाल की गिरफ्तारी के बाद हुआ है. पुलिस उससे भागलपुर कनेक्शन भी तलाश रही है. पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि भागलपुर शहर में भी प्रमोद वर्णवाल का आना-जाना होता था. वह विवि क्षेत्र के साथ ही नाथनगर में भी कुछ लोगों से मिलने जाया करता था. दिसंबर माह में उसने कई तरह के परचे एक लॉज में रह कर बनाये थे.
वह इस बात से सतर्क रहता था कि कहीं पुलिस उस तक न पहुंच जाये, इसलिए बार-बार वह ठिकाने बदलता रहता था. भाकपा माओवादी प्रतिबंधित संगठन के प्रांतीय सचिव सह भागलपुर जोन के जोनल सचिव प्रमोद वर्णवाल उर्फ प्रह्लाद वर्णवाल अब मारक दस्ता में शामिल नहीं होता था, बल्कि योजना बना कर उसका मॉनिटरिंग करता था. वह अपने सांगठनिक काम को अंजाम देने के बाद भागलपुर में छुप जाया करता था. भागलपुर के शाहकुंड, सुलतानगंज के साथ ही बांका से सटे इलाके उसके छुपने के मुफीद ठिकाने थे. वैसे कभी-कभी वह शहरी क्षेत्र के लॉजों में भी छुपा करता था. उसकी संगठन के प्रति कट्टरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नक्सलियों से धोखा देनेवाले अनिल शर्मा को उसने मौत के घाट उतार दिया था.
छह माह पहले भी प्रह्लाद ने नक्सली साहित्य का खेप बांका के लिए जमुई से लाया था. भागलपुर जंकशन पर उसे इस बात की भनक लग गयी कि पुलिस उसके पीछे है. इस कारण उसने भागलपुर में ही कुछ दिनों तक उसे एक ठिकाने पर रखा था. बाद में वह सवारी गाड़ी से बांका पहुंचा और लोगों के बीच उसे बांटना शुरू किया. वैसे सूत्र बताते हैं कि दो बोरा से ज्यादा नक्सली साहित्य बांका में ही पड़ा हुआ है. इसका कारण कई नक्सलियों के पकड़े जाने का है.
चूंकि आधार क्षेत्र का विस्तार व सुदूरवर्ती इलाके में नये लड़कों को ट्रेनिंग देने की जिम्मेवारी भी इसके ऊपर थी, इसलिए वह स्लीपर जोन के रूप में भागलपुर का इस्तेमाल करता था. वह नक्सली परचा तैयार करने से लेकर शीर्ष नेताओं की योजना को सफल बनाने में अहम भूमिका निभा रहा था. प्रह्लाद इन दिनों जमुई, लखीसराय, मुंगेर, बांका सहित सीमावर्ती कई जिलों में बिखरे नक्सली संगठन को एक सूत्र में बांधने का काम भी कर रहा था. जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में शीर्ष नेताओं की बैठक की तैयारी कर रहा था. यह झाझा के जंगल में होना था. इसमें संगठन को नये सिरे से गठन व नये लड़कों की बहाली भी की जानी थी.
दिसंबर माह में भी प्रह्लाद सुरेंद्र उर्फ सूलो दा के अलावा कई नक्सली सदस्यों के साथ बैठक में शामिल था. पुलिस ने सूलो यादव को गिरफ्तार कर लिया. प्रमोद यहां से पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहा था. अब पुलिस उससे सारे राज उगलवाने की तैयारी में है, इससे भागलपुर के कनेक्शन का भी परदाफास होगा.
जमुई से पकड़े गये प्रह्लाद वर्णवाल का भागलपुर में किनसे कनेक्शन रहा है और वह भागलपुर में कहां रहा करता था इसकी जांच करायी जायेगी. यह बात सामने आयी है कि वह भागलपुर जोन का प्रभारी था. ऐसे में उसका भागलपुर कनेक्शन खंगालना जरूरी है.
सुशील मानसिंह खोपड़े, जाेनल आइजी भागलपुर