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मासूमों के लिए काल बन रहा हाइपोथर्मिया

सावधानी जरूरी बुजुर्गों के लिए भी खतरनाक है हाइपोथर्मिया भागलपुर : ठंड बढ़ने के साथ ही मासूमों को हाइपोथर्मिया बीमारी सताने लगी है. शहर के सरकारी से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल में हाइपोथर्मिया के शिकार बच्चे इलाज करा रहे हैं. मायागंज में भरती होनेवाले मासूमों की बात करें तो यहां पर इलाजरत हर 10 में तीन […]

सावधानी जरूरी बुजुर्गों के लिए भी खतरनाक है हाइपोथर्मिया

भागलपुर : ठंड बढ़ने के साथ ही मासूमों को हाइपोथर्मिया बीमारी सताने लगी है. शहर के सरकारी से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल में हाइपोथर्मिया के शिकार बच्चे इलाज करा रहे हैं. मायागंज में भरती होनेवाले मासूमों की बात करें तो यहां पर इलाजरत हर 10 में तीन बच्चा हाइपोथर्मिया का शिकार है. हर तीन दिन में एक मासूम की मौत का वजह हाइपोथर्मिया बना हुआ है.
ये है हाइपोथर्मिया : हाइपोथर्मिया को अल्पताप भी कहा जाता है. यह शरीर की एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है. पहले बच्चे के शरीर का तापमान एक से दो डिग्री कम होता है. इस स्थिति में रोगी के हाथ-पैर सही से काम नहीं करते. इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी पीड़ित के पेट में होती है
और वह थकान महसूस करता है. सर्दियों में यह खतरा और बढ़ जाता है. पीजी शिशु रोग विभाग के हेड प्रो (डॉ) आरके सिन्हा कहते हैं कि जब तापमान बहुत कम हो जाये या शरीर की गरमी पैदा करने की क्षमता कम होने लगे तो मरीज को हाइपोथर्मिया हो जाता है. उन्होंने बताया कि जब शरीर का तापमान 95 डिग्री फारेनहाइट से कम हो जाता है तो इसे ‘हाइपोथर्मिया’ कहते हैं. इस बीमारी से ग्रसित मरीज में धीरे-धीरे बोलना, नींद आना,
कंपकंपी, बांहों-टांगों में जकड़न, शरीर पर नियंत्रण में कमी, प्रतिक्रिया देने में देरी या कमजोर नब्ज का होना जैसे प्रमुख लक्षण पाये जाते हैं. जेएलएनएमसीएच के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ हेमशंकर शर्मा कहते हैं कि हाइपोथर्मिया बुजुर्गों को भी हो सकता है, खासतौर से उम्रदराज लोगों में. क्योंकि डायबिटीज, सर्दी-जुकाम की दवाओं के अत्यधिक सेवन और बढ़ती उम्र की वजह से उसके शरीर में सर्दी को रोकने की क्षमता कम हो जाती है. इसलिए उम्रदराज लोगों को तापमान में थोड़ी-सी गिरावट से भी हाइपोथर्मिया हो सकता है.
हाइपोथर्मिया से
बचाव का उपाय
बच्चे को बाहर ले जाते समय कैप, स्कार्फ और दस्ताने पहनायें.
ज्यादा ठंड वाले दिनों में बच्चे को घर के अंदर ही रखे.
सिर पर टोपी पहनाना बेहद जरूरी है
सर्दी में ढीले-ढाले कई कपड़े पहनायें. इससे गरमी परतों में बंद रहेगी.
तंग कपड़े न पहनाये नहीं तो रक्त के बहाव में रुकावट हो सकती है
कम पड़े मायागंज में संसाधन
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो भागलपुर जिले में हर रोज तीन से चार मासूमों(शून्य से 28 दिन के अंदर) की मौत हो रही है. अगर पांच साल तक के बच्चों की होने वाली मौत की बात करें तो जिले में हर रोज पांच से छह बच्चों की मौत हो रही है. इन मौतों में बड़ा कारण निमोनिया एवं हाइपोथर्मिया की बीमारी बड़ी वजह है. हाइपोथर्मिया के बीमारों के आगे तो मायागंज में उपलब्ध संसाधन कम पड़ने लगे हैं.
इमरजेंसी में जगह न होने के कारण रेडिएंट वार्मर नहीं बढ़ पा रहा है. लेकिन जल्द ही रेडिएंट वार्मर की संख्या बढ़ायी जायेगी. इसके लिए प्रयास जारी है.
डॉ आरसी मंडल, अधीक्षक
इमरजेंसी में वेटिंग की स्थिति : मायागंज के इमरजेंसी स्थित शिशु रोग वार्ड में हर 10 में से तीन मासूम बच्चा हाइपोथर्मिया का शिकार है. चिकित्सकों के अनुसार, हाइपोथर्मिया के मरीजों को रेडिएंट वार्मर में रखा जाना चाहिए ताकि बच्चों के शरीर का तापमान मेंटेन किया जा सके. लेकिन इमरजेंसी के रिसेसाइटेशन रूम में एक ही रेडिएंट वार्मर है जबकि यहां पर हाइपोथर्मिया के औसत बीमार बच्चाें की संख्या तीन मरीज रोजाना है.

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