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2016 देलकै ढेर किताब सतरो भी देतै
प्रो बहादुर मिश्र स्वागत आरो बिदाय के अलग-अलग रूप, अलग-अलग तरीका. 2016 बिदाय चाहै छै, 2017 स्वागत. स्वागत हुऍ कि बिदाय, साहित्यकार एक डेग आगुए रहै छै. चंद्रप्रकाश जगप्रिय के अंगिका-संस्मरण-पुस्तक ‘संस्मरण-सौरभ’, धनंजय मिश्र के अंगिका-कथा-संग्रह ‘तुलसी चौरा’, सुरेंद्र प्रसाद यादव के हिंदी कहानी-संग्रह ‘खड़खड़ी’ आरो मनाजिर आशिक हरगानवी के हिंदी साक्षात्कार ‘सवालों के घेरे […]
प्रो बहादुर मिश्र
स्वागत आरो बिदाय के अलग-अलग रूप, अलग-अलग तरीका. 2016 बिदाय चाहै छै, 2017 स्वागत. स्वागत हुऍ कि बिदाय, साहित्यकार एक डेग आगुए रहै छै. चंद्रप्रकाश जगप्रिय के अंगिका-संस्मरण-पुस्तक ‘संस्मरण-सौरभ’, धनंजय मिश्र के अंगिका-कथा-संग्रह ‘तुलसी चौरा’, सुरेंद्र प्रसाद यादव के हिंदी कहानी-संग्रह ‘खड़खड़ी’ आरो मनाजिर आशिक हरगानवी के हिंदी साक्षात्कार ‘सवालों के घेरे में डॉ अमरेंद्र’ 2016-17 के संधि-वेला में प्रकाशित ऐसने साहित्यिक पुष्प-स्तवक छिकै.
‘संस्मरण-सौरभ’ पेशा सें पुलिस अधिकारी जगप्रिय के छिहत्तरवां पुस्तक छिकै, जै में डोमन साहु समीर, दीनानाथ सिंह, चकोर, कमला प्रसाद बेखबर, मधुकर गंगाधर, जनार्दन यादव, रामधारी सिंह दिवाकर, रेणु, अमरेंद्र, कैलाश झा किंकर आरो लोककला मंजूषा के झांकी-समेत एगारो संस्मरण सम्मिलित छै. ‘लोककला मंजूषा’ केॅ संस्मरण नै कही केॅ आलेख कहै के चाहियोॅ. अंगिका के संस्मरण-साहित्य बहुत समृद्ध नै छै. ई दृष्टि सें हय पुस्तक महत्वपूर्ण कहलैतै.
लेखक आरो भूमिका-लेखक प्रो मनमोहन मिश्र के अनुसार ‘तुलसी चौरा’ अंगिका कथा-संग्रह छिकै, जै में ‘भोज’ सें लेॅ केॅ ‘बियालिस घंटा रोॅ अंधकार’ तांय 16 कहानी संकलित छै. हमरा हिसाबोॅ सें मोटा-मोटी ई संस्मरण आरो यात्रावृत्त-संग्रह छिकै. कहानी में चरित्र के असली नामोॅ के उल्लेख नै होय छै, होय्यो के नै चाही, मुदा एकरा में डॉ नरेंद्र मिश्र साहित्यकार विमल, पोता-पोती आरनी के नामोल्लेख नै, हुनका केंद्र में राखी केॅ लिखने छैन्ह. जे हुऍ, किताब पठनीय बुनलोॅ छै.
‘खड़खड़ी’ बांका आरो भागलपुर सें जुड़लोॅ सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, प्रशासनिक विद्रूपता पर केंद्रित 23 टा हिंदी कहानी के संग्रह छिकै, जेना-बेटा सें परास्त, भूखन, चलनी में दही, चमकी यादव, चोरी से हरफेड़ी, खड़खड़ी आरनी. सबटा कहानी पठनीय बनलोॅ छै.
‘सवालों के घेरे में डॉ अमरेंद्र’ के केंद्र में अंगिका आरो हिंदी के अगड़धत्त साहित्यकार अमरेंद्र छोॅत. साक्षात्कारकर्ता हरगानवी ओना त उर्दू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, साहित्यकार आरो संपादक छोॅत, मुदा लिखै छोॅत चार-पांच भाषा में. 194 छोटोॅ-बड़ोॅ सवालोॅ के घेरा में कैद डॉ अमरेंद्र के जीवन-संघर्ष, रचना-प्रक्रिया, साहित्य-कर्म के साथें समकालीन साहित्यिक परिवेश पर प्रकाश डालै छै ई पुस्तक. ई किताब एत्थै महत्वपूर्ण बनलोॅ छै कि अलग सें स्वतंत्र समीक्षा के मांग करै छै.
लेखक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी अंगिका विभाग के वरीय शिक्षक हैं.
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