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परची खत्म, कागजों पर लिखते हैं दवा

भागलपुर: शहरी पीएचसी चंपानगर के जिम्मेे हर रोेज औसतन 200 से 225 मरीजों का इलाज है. बावजूद यहां ओआरएस पाउडर व बुखार की दवा नहीं है. दो दिन से अस्पताल की पुरजी (स्लिप) समाप्त हो गयी है. मजबूरी में मरीजों की दवाई साधारण कागज पर चिकित्सकों को लिखनी पड़ रही है. चंपानगर स्थित वृद्धाश्रम में […]

भागलपुर: शहरी पीएचसी चंपानगर के जिम्मेे हर रोेज औसतन 200 से 225 मरीजों का इलाज है. बावजूद यहां ओआरएस पाउडर व बुखार की दवा नहीं है. दो दिन से अस्पताल की पुरजी (स्लिप) समाप्त हो गयी है. मजबूरी में मरीजों की दवाई साधारण कागज पर चिकित्सकों को लिखनी पड़ रही है.

चंपानगर स्थित वृद्धाश्रम में चल रहे इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत ठीक नहीं है. यहां आयुष चिकित्सक के भरोसे मरीजों का इलाज हो है. आरपीएम के निरीक्षण तक यहां पर तैनात एलोपैथिक चिकित्सक डॉ टीना हुसैन दो से तीन घंटे की नौकरी करती थी. शुक्रवार को हुई पड़ताल में गायब रही. इस बाबत पूछे जाने पर मरीज देख रहे आयुष चिकित्सक डॉ जय प्रकाश दास ने बताया कि डॉ हुसैन छुट्टी पर गयी है. केंद्र पर तैनात डाटा आपरेटर संदीप कुमार व मेल अटेंडेंट वीरेंद्र कुमार चौधरी भी नहीं था. ड्यूटी पर डॉ जेपी दास, एएनएम सरिता कुमारी सिंह व सपना सिंह थी.
जरूरी दवा तक मयस्सर नहीं मरीजों को
शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर शुक्रवार को साढ़े तीन बजे तक 72 मरीजों ने अपने सेहत की जांच करा कर दवा ले ली थी, जबकि यहां इलाज के लिए आने वाले औसतन मरीजों की संख्या 200-225 है. यहां मात्र 28 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध थी. जरूरी दवा ओआरएस पावडर, पैरासिटामाल(बुखार की दवा), बड़ों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवा एमाक्सिलिन तक नहीं थी.

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