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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बुद्धिजीवियों ने दी प्रतिक्रिया

भागलपुर : सुप्रीम कोर्ट की ओर से सिनेमाघरों में सिनेमा शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाने का निर्देश देने पर शहर के बुद्धिजीवियों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है. कोई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को पूरी तरह से सही ठहरा रहे हैं, तो कोई निर्देश को तो सही ठहरा रहे हैं, लेकिन समय व स्थान को […]

भागलपुर : सुप्रीम कोर्ट की ओर से सिनेमाघरों में सिनेमा शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाने का निर्देश देने पर शहर के बुद्धिजीवियों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है. कोई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को पूरी तरह से सही ठहरा रहे हैं, तो कोई निर्देश को तो सही ठहरा रहे हैं, लेकिन समय व स्थान को देखकर ऐसे निर्देश पर फिर से विचार करने की मांग कर रहे हैं.

पहले भी सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाया जाता था, लेकिन राष्ट्रगान के समय सभी खड़े नहीं होते थे. इसी कारण इस परंपरा को बंद कर दिया गया. सिनेमा दिखाना एक व्यावसायिक और व्यापारिक काम है. इसमें कई तरह की फिल्में होती है. फिल्म से पहले राष्ट्रगान दिखाना, राष्ट्रगान को गंभीरता से नहीं लेना है. सुप्रीम कोर्ट को चाहिए था कि राष्ट्रप्रेम के लिए अलग तरह के दिशा-निर्देश देता. सुप्रीम कोर्ट को इस पर फिर से विचार करना चाहिए.
उदय, संस्कृतिकर्मी
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश ठीक है. इससे राष्ट्रभावना को जागृत करने में बल मिलेगा. यह सिविल सोसाइटी के हित में लिया गया निर्णय है. पहले भी सिनेमाघर में राष्ट्रभावना को बढ़ावा देने के लिए ऐसा होता था. ऐसी परंपरा को फिर से शुरू करने पर सभी लोगों का ध्यान राष्ट्रभक्ति के प्रति आकर्षित होगा.
रमण कर्ण, सामाजिक कार्यकर्ता
राष्ट्रगान तो अपने राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है. सिनेमाघर हो या सार्वजनिक कार्यक्रमों में राष्ट्रगान गाया जाना उचित निर्देश है. हमलोगों को देशभक्ति के लिए इस निर्देश का पालन करना चाहिए.
डाॅ डीपी सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

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