जेएलएनएमसीएच में विभिन्न मामलों व अनियमितताओं पर शो काउॅज तो पूछा जाता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती
Advertisement
सिर्फ रिएक्शन, एक्शन एक भी मामले में नहीं
जेएलएनएमसीएच में विभिन्न मामलों व अनियमितताओं पर शो काउॅज तो पूछा जाता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती ठंडे बस्ते में पांच मामले जिनमें नहीं हुई बड़ी कार्रवाई भागलपुर : जेएलएनएमसीएच में 13 जिलों से बड़ी संख्या में हर रोज बेहतर इलाज की उम्मीद में इलाज के लिए आते हैं. लेकिन यहां कई मामलों में […]
ठंडे बस्ते में पांच मामले जिनमें नहीं हुई बड़ी कार्रवाई
भागलपुर : जेएलएनएमसीएच में 13 जिलों से बड़ी संख्या में हर रोज बेहतर इलाज की उम्मीद में इलाज के लिए आते हैं. लेकिन यहां कई मामलों में घनघोर लापरवाही के मामले सामने आये हैं. ऐसे मामलों में शो कॉउज तक ही मामला रह जाता है. कोई कार्रवाई नहीं होती है. ऐसे ही पांच मामले जो शो कॉउज के बाद ठंडे बस्ते में चले गये.
केस नंबर एक : 27 जुलाई 2016 को मायागंज हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने जेएलएनएमसीएच के मेडिसिन विभाग का निरीक्षण किया. निरीक्षण में डॉ मंडल ने पाया कि विभाग में विभाग के हेड प्रो(डॉ) केडी मंडल व डॉ पी युगुल को छोड़कर कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे. यहां तक कि 11 बजे तक एक चिकित्सक ने राउंड तक नहीं लगाया था. इस मामले में हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ मंडल ने गायब रहे विभाग के 13 वरिष्ठ चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई के लिए जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को पत्र लिखा. जबकि छह सीनियर रेजीडेंट का स्वयं अधीक्षक ने वेतन काटने का दावा किया था.
केस नंबर दो : पूर्णिया जिले के डिवहर धानी निवासी प्रियंका देवी(काल्पनिक नाम) हेपेटाइटिस बी से ग्रसित थी. वह प्रसव के लिए मायागंज हॉस्पिटल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में 10 नवंबर 2016 की भोर तीन बजे भरती हुई. प्रसव के लिए ऑपरेशन करना जरूरी था. बावजूद ड्यूटी पर तैनात सीनियर रेजीडेंट डॉ पूनम कुमारी ने उसका आॅपरेशन नहीं किया. सुबह आठ बजे से बतौर एसओडी तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर (डॉ) कृष्णा कुमारी की ड्यूटी थी, वह भी प्रसूता का आॅपरेशन किये बिना चली गयी.
प्रसूता के परिजनों ने इसकी शिकायत हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल से शिकायत की तो उन्होंने विभाग की अध्यक्ष डॉ अनुपमा सिन्हा से पूछताछ की और प्रसूता का आॅपरेशन करने को कहा. इसके बाद अपराह्न दो बजे विभागाध्यक्ष डॉ अनुपमा सिन्हा व जूनियर रेजीडेंट डॉ अर्चना ने प्रसूता का आॅपरेशन कर डिलेवरी करायी. हॉस्पिटल अधीक्षक ने आॅपरेशन न करने वाली डॉ कृष्णा व डॉ पूनम कुमारी के विरुद्ध प्रपत्र क गठित कर विभागीय कार्रवाई के लिए प्रधान सचिव को भेज दिया.
केस नंबर तीन : गोड्डा की गर्भवती सीमा देवी 29 मई 2016 की रात करीब एक बजे जेएलएनएमसीएच के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में भरती हुई. हालत गंभीर होने पर चिकत्सिकों ने सीमा देवी का अल्ट्रासाउंड एवं कुछ जरूरी पैथोलॉजी जांच लिखा था. लेकिन विभाग की संबंधित नर्स ने चेकअप व जांच नहीं कराया. 30 मई को सीमा देवी के पति ने इसकी शिकायत हॉस्पिटल के अधीक्षक से की तो उन्होंने महिला के जांच-इलाज की व्यवस्था करायी. 30 मई की रात में सीमा का आॅपरेशन किया गया. तब तक गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी थी. किसी तरह से सीमा देवी की जान बची.
केस नंबर चार : भागलपुर जिले के खरीक की 20 वर्षीया ज्योति देवी को प्रसव दर्द होने पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में 29 मई 2016 की रात में ही भरती कराया गया. इस दौरान ज्योति दर्द से लगातार तड़पती रही लेकिन यहां पर उसके दर्द को जिम्मेदार अनसुना करते रहे. ज्योति के इलाज की पैरवी करते हुए पूर्व विधायक ई शैलेंद्र ने हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल से शिकायत की. अधीक्षक डॉ मंडल ने तत्काल डॉ अनीता से अल्ट्रासाउंड जांच करायी.
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में ज्योति देवी के पेट का बच्चा मरा पाया गया था. 48 घंटे बाद ज्योति के मृत बच्चे को निकाला गया था. उक्त दोनों मामले में हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने विभाग में तैनात स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में तैनात चिकित्सिका डॉ अनीता कुमारी, डॉ आभा सिन्हा व नर्स रेणु कुमारी को शोकॉज नोटिस जारी कर दिया था.
केस नंबर पांच : 23 सितंबर को दोपहर साढ़े 12 बजे हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने हॉस्पिटल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि वहां पर तैनात डॉ राखी कुमार के अलावा विभाग की हेड समेत तीन प्रोफेसर-असिस्टेंट प्रोफेसर तथा नौ जूनियर-सीनियर रेजीडेंट गायब हैं. इस मामले में अधीक्षक ने विभाग की हेड समेत प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई के लिए कॉलेज के प्राचार्य को पत्र लिखा. जबकि नौ सीनियर एवं जूनियर रेजीडेंट का एक दिन का वेतन काटने का आदेश कार्यालय को दे दिया गया. इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई.
एक्शन के मामले में ये कहा था इडी ने
राज्य स्वास्थ्य समिति के सचिव सह इडी जितेंद्र श्रीवास्तव जेएलएनएमसीएच के दौरे पर आये थे तो उन्होंने अधीक्षक कार्यालय में मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में ही जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एके सिंह, आरएडी डॉ ओमप्रकाश प्रसाद, सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार व अधीक्षक डॉ आरसी मंडल काे कहा था कि आप लोगों ने आज तक कितने डॉक्टर की सर्विस ब्रेक की कार्रवाई की है. अगर एक भी चिकित्सक का एक दिन का भी आप सर्विस ब्रेक कर दें तो मायागंज हॉस्पिटल समेत पूरे जिले के चिकित्सक एक दिन में पटरी पर आ जायेंगे.
अब कार्रवाई के लिए लिखेंगे पत्र : अधीक्षक
सवाल : मायागंज हॉस्पिटल की कैसे सुधरेगी व्यवस्था ?
जवाब : हर रोज अस्पताल का राउंड करता हूं. मरीज को कोई समस्या हो तो मुझे बतायें. मैं उनकी समस्या को दूर करुंगा. हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सकों से उम्मीद करता हूं कि वे हॉस्पिटल की व्यवस्था को सुधारने में सकारात्मक पहल करें.
सवाल : आखिर क्यूं नहीं होती है कार्रवाई ?
जवाब : जूनियर एवं सीनियर रेजीडेंट, जूनियर डॉक्टर एवं पीजी स्टूडेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. अब तक वेतन काटा जाता रहा है. असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रोफेसर रैंक वाले चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार सरकार के पास है.
सवाल : चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आगे की क्या प्लानिंग है?
जबाब : अब कोई शो कॉज-वो कॉज जारी नहीं किया जायेगा. सीधे प्रपत्र क गठित कर सरकार को पत्र लिख दूंगा. सीधे वहीं से कड़ा एक्शन लिया जायेगा.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement