भागलपुर : नोटबंदी का असर लोगों की दिनचर्या पर पड़ने लगा है. अब ताे छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में लोगों को बड़े-बड़े नोट दर्द देने लगे हैं. बड़े नोट को भुनाने के लिए सरकारी हॉस्पिटल से नर्सिंग होम में भरती मरीजों के तीमारदार दवा खरीदने के लिए तमाम परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.
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तीमारदारों के छूट रहे पसीने
भागलपुर : नोटबंदी का असर लोगों की दिनचर्या पर पड़ने लगा है. अब ताे छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में लोगों को बड़े-बड़े नोट दर्द देने लगे हैं. बड़े नोट को भुनाने के लिए सरकारी हॉस्पिटल से नर्सिंग होम में भरती मरीजों के तीमारदार दवा खरीदने के लिए तमाम परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. […]
आधा किलो की जगह एक किलो खरीदना पड़ा हाॅर्लिक्स : जेएलएनएमसीएच के स्त्री रोग विभाग में इलाजरत नवगछिया की कुमारी शशि (25) बताती हैं कि पति रवींद्र कुमार ठाकुर उनके लिए आधा किलो ग्राम हॉर्लिक्स खरीदने दवा की दुकान पर गये, लेकिन पांच सौ रुपये का नोट देख दुकानदार ने शर्त रखी कि उन्हें एक किलाे का हॉर्लिक्स (कीमत 413 रुपये) खरीदना होगा. मजबूरी में खरीदना पड़ा.
दवा खरीदने के लिए 200 रुपये देना पड़ा डिस्काउंट : जेएलएनएमसीएच के ऑब्स एंड गाइनी डिपार्टमेंट में भरती मधु देवी (22) गायत्री काॅलोनी, हुसैनाबाद ने बताया कि उनके पति को शनिवार को दवा खरीदने के लिए भटकना पड़ा. बस स्टैंड में 1000 रुपये के नोट को भुनाने के लिए 200 रुपये का डिस्काउंट देना पड़ा. तब जाकर उनके लिए दवा, खाना व दूध खरीदा गया.
स्लाइन की बोतल खरीदने रात में दो घंटे भटकी खुश्बू : टोपरा, पीरपैंती की खुश्बू कुमारी ने बताया कि उनकी छोटी बहन मोनिका (22) की तबीयत खराब थी. उसे नौ की रात में नाथनगर क्षेत्र स्थित डॉ राेमा यादव के नर्सिंग होम में भरती कराया गया. मोनिका को स्लाइन चढ़ाने के लिए बोतल खरीदने वह नर्सिंग के समीप एक मेडिकल स्टोर पर गयी. उसके पास रखे पांच सौ रुपये के नोट को देख दवा दुकानदार ने स्लाइन चढ़ाने की बोतल (कीमत 85 रुपये) देने से इनकार कर दिया. अंतिम में वह एक परिचित के घर गयी और 100 रुपये उधार लेकर बोतल खरीदी.
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