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अलग-अलग वर्गों पर आधारित है जीएसटी

विचार. केंद्र सरकार ने तय की है चार दरें केंद्र सरकार की ओर से कार्यान्वयन के लिए जीएसटी को चार दरों में बांटा गया. अलग-अलग राज्यों में किसी तरह का विवाद नहीं हो या अलग-अलग वर्ग के लोगों काे ध्यान में रखते हुए जीएसटी की दर निर्धारित की गयी है. हालांकि जीएसटी को लागू करने […]

विचार. केंद्र सरकार ने तय की है चार दरें

केंद्र सरकार की ओर से कार्यान्वयन के लिए जीएसटी को चार दरों में बांटा गया. अलग-अलग राज्यों में किसी तरह का विवाद नहीं हो या अलग-अलग वर्ग के लोगों काे ध्यान में रखते हुए जीएसटी की दर निर्धारित की गयी है. हालांकि जीएसटी को लागू करने में एक देश और एक कर प्रणाली का पालन नहीं किया गया है. इस पर अलग-अलग आर्थिक विशेषज्ञों ने अलग-अलग राय दी है.
भागलपुर : अब तक जो जीएसटी को लेकर चार स्लैब तय किया गया है, उससे कुछ चीजों में महंगाई बढ़ेगी और कुछ चीजों में घटेगी. 28 प्रतिशत से ऊपर वाले सामान में उप-कर लगाना उचित नहीं जान पड़ता है. सही मायने में एक देश और एक दर वाली प्रक्रिया से लगता है हमलोग वास्तविक चीजों से भटक गये हैं. इससे लगता है कि अभी तक जो भी बातें सामने आयी है, उससे हम कह सकते हैं कि ये नयी बोतल में पुरानी शराब है. यानि वैट का ही संशोधित रुप है. सही मायने में एक देश-एक कर का जो प्रारूप है, उसमें एक ही प्रकार के कर का प्रावधान होना चाहिए.
शैलेंद्र सराफ, अध्यक्ष, इस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज
केंद्र सरकार की ओर से जरूरी वस्तुओं को देखते हुए इसे जीएसटी से अलग रखा जा रहा है. जैसे अनाज व अन्य घरेलू सामान. इससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी. लग्जरी वस्तु में कार, श्रृंगार के सामान व मादक पदार्थ में तंबाकू, शराब, गुटखा के रेट बढ़ेंगे. पूरे देश में एक तरह की कर प्रणाली होगी. इससे देश में उद्योग व व्यवसाय बढ़ेगा और लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा. यह केंद्र सरकार का सराहनीय कदम है.
रतन संथालिया, आयकर अधिवक्ता
केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी के चार रेट तय किये हैं. पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 23 प्रतिशत. इसके तहत कुछ वस्तुओं में आम लोगों को फायदा मिलेगा, लेकिन ऐसी वस्तुएं जो सर्विस टैक्स के दायरे में आती है, उस पर टैक्स की दर बढ़कर 15 प्रतिशत से 18 प्रतिशत हो जायेगी. इसी तरह कुछ वस्तुएं ऐसी हैं, जिन पर अभी टैक्स की दर कम है, उस पर जीएसटी के तहत अधिक टैक्स देना पड़ेगा. कुछ वस्तुएं ऐसी भी हैं, जो जिन पर एक्साइज ड्यूटी-उत्पादन कर वैट मिलाकर अधिक है, उस पर टैक्स की दर कम हो जायेगी.
प्रदीप झुनझुनवाला, अध्यक्ष, इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
जीएसटी का प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन शुल्क की दरों की संरचना के साथ है. विभिन्न राज्यों में अलग-अलग दरों के कारण इसमें सर्वसम्मति प्राप्त करने का प्रयास किया गया है. वस्तुओं को कई वर्गों में बांट दिया गया है. अत्यावश्यक वस्तुएं, आवश्यक वस्तुएं, सामान्य उपभोग की वस्तुएं, आराम संबंधी वस्तुएं, विलासिता संबंधी वस्तुएं एवं हानिकारक वस्तुएं. अत्यावश्यक वस्तुओं के लिए कर की दर शून्य प्रतिशत रखी गयी है. आवश्यक वस्तुओं के लिए पांच प्रतिशत रखी गयी और विलासिता की वस्तुओं तथा हानिकारक वस्तुओं के लिए कर की दर सर्वाधिक रखी गयी है, ताकि इनके उपभोग को, राजस्व के साथ-साथ, नियंत्रित किया जा सके. सर्वसम्मति से तय होने के कारण इन दरों के प्रति विवाद खड़ा नहीं किया जा सकता.
डॉ आरडी शर्मा, आर्थिक विशेषज्ञ
जीएसटी में नये प्रस्ताव लाये गये हैं. सबसे न्यूनतम दर पांच प्रतिशत और अधिकतम दर 28 प्रतिशत निर्धारित की गयी है. आम उपभोग की वस्तुओं पर सबसे कम टैक्स और विलासिता व मादक पदार्थ पर 28 प्रतिशत दर रखी गयी है. जीएसटी के लागू होने से महंगाई कम होने की पूरी संभावना है. सरकार को राजस्व की प्राप्ति अधिक से अधिक होगी. प्रशासनिक एवं कर संग्रह खर्च में कमी आयेगी. पूरे देश में एक दर होने से समानता आयेगी और भ्रष्टाचार घटेगा.
सुमित जिलोका, सीए

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