खून के रिश्ते भी खून के प्यासे हो गये. जिस कंधे पर चढ़ झूला झूलते थे, जो कभी तोतली एक आवाज पर घोड़ा बन पीठ पर सैर कराता था, आज उसी के ऊपर हाथ उठ जाता है. इस दरकते रिश्ते को क्या नाम दें. यह अपराध से ज्यादा महापाप की श्रेणी में आता है. ऐसी कई घटनाएं हैं, जो समाज के टूटने को दरसाता है और हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि हमारा समाज कहां जा रहा है.
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रिश्तों को दबोच रही संपत्ति, भाई भी भाई का नहीं
खून के रिश्ते भी खून के प्यासे हो गये. जिस कंधे पर चढ़ झूला झूलते थे, जो कभी तोतली एक आवाज पर घोड़ा बन पीठ पर सैर कराता था, आज उसी के ऊपर हाथ उठ जाता है. इस दरकते रिश्ते को क्या नाम दें. यह अपराध से ज्यादा महापाप की श्रेणी में आता है. ऐसी […]
भागलपुर : रिश्ते क्या होते हैं. सगे भाई से बढ़ कर कौन. कहावत की बात करें, तो कोई नहीं. वास्तविकता पर आयें तो भाई-भाई के खून के रिश्ते से बढ़ कर धन-दौलत और संपत्ति. मरजी चले, तो संपत्ति के लिए चंद मिनटों में भाई का खून बहा दें. कुछ ऐसा ही माहौल है आजकल. मंगलवार को मायागंज स्थित जेएलएनएमसीएच से रजौन के 75 साल का एक बुजुर्ग भाई गोरख शर्मा अपने से दस साल छोटे भाई द्वारा दी गयी चोट का इलाज करा वापस
जा रहे थे. वहीं दूसरी तरफ अपने बड़े भाई द्वारा दी गयी चोट का इलाज कराने नवगछिया के कदवा निवासी संजय सिंह अस्पताल में भरती हुआ.
संपत्ति विवाद में इस तरह की घटनाएं अक्सर आ रही सामने, सप्ताह में तीन से चार ऐसे मामले
उम्र का भी लिहाज नहीं करता भाई
रजौन के राजावर के रहनेवाले 75 साल के गोरख शर्मा ने बताया कि पैतृक संपत्ति विवाद को लेकर उससे दस साल छोटा भाई अघनी शर्मा उसे पीटता है. अघनी उनकी उम्र का भी लिहाज नहीं करता इस बात से काफी परेशान दिखे गोरख. गोरख ने बताया कि विवाद
शुरू होने पर अघनी के बेटे भी उसके साथ मारपीट करते हैं. गोरख को भाई ने पीटा तो एक अक्तूबर को वे मायागंज इलाज के लिए आये. इलाज पूरा होने के बाद मंगलवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. गोरख ने बताया कि उसके पांच बेटे हैं पर सभी बाहर रहते हैं. बच्चों को वे इस विवाद में नहीं डालना चाहते.
वैसे तो गोरख ने अपने छोटे भाई की शिकायत पुलिस से कर दी है पर भाई के प्रति उसके दिल में अभी भी प्यार जिंदा है, तभी तो उसपर केस करने के नाम पर गोरख चुप हो जाते हैं और कहते हैं इस पर सोचना होगा.
पांच दिन पहले भी शहर के बरारी मुहल्ले के व्यक्ति ने अपने छोटे भाई पर मारपीट का आरोप लगाया था. वह खुद धनबाद में रहता है. उसकी जमीन व मकान पर कब्जा जमाने की बात सामने आयी थी. इस तरह की कई घटनाएं हमें विचलित करती हैं.
गोद में खिलानेवाले ने ही पीटा
नवगछिया के कदवा स्थित पखरावासा का रहनेवाला संजय इलाज के लिए मायागंज पहुंचा. उसे कई जगह चोट आयी है. उसके शरीर में उसने चोट पहुंचायी है जिसने कभी उसे गोद में खिलाया था. उसे पीठ पर बैठा कर घुमाया था. संजय को पीटनेवाला उसका अपना बड़ा
भाई अवधेश सिंह है. संजय और उसके साथ आये परिजनों ने बताया कि संपत्ति को लेकर भाई-भाई के बीच विवाद चल रहा है. विवाद बातचीत से भी सुलझाया जा सकता है पर रिश्तों को ताक पर रख, संपत्ति को भाई के रिश्ते पर प्राथमिकता दी गयी और बड़े भाई ने छोटे को पीट दिया.
भौतिकवादी प्रतिस्पर्धा ने परिवार को बिगाड़ा है
संपत्ति के लिए सगे भाइयों के बीच इस तरह की घटनाएं सामने आने के पीछे के कारणों पर टीएमबीयू के समाजशास्त्री प्रो पीके सिन्हा का कहना है कि भौतिकवादी प्रतिस्पर्धा ने समाज में इस तरह का माहौल बना दिया है. उनका कहना है कि माता-पिता, बेटा, पति-पत्नी और भाई-भाई का रिश्ता प्राथमिक रिश्ता
कहलाता है. इसी पर परिवार की नींव टिकी होती है. पर अभाव, बेरोजगारी और अतिमहात्वाकांक्षा ने रिश्तों को किनारे कर दिया है. पीके सिन्हा का कहना है कि आज के दाैर में संयुक्त और एकाकी नहीं, बल्कि विस्तृत परिवार का चलन है. ऐसे परिवार में एक ही पीढ़ी के सभी सदस्य एक साथ रह रहे हैं. उनमें कोई कमाने वाला, तो कोई बेरोजगार है. किसी की आकांक्षाएं पूरी हो रहीं, तो कोई कुंठा का शिकार हो रहा है. ऐसे में ही माहौल बिगड़ता है और परिवार बिखर जाता है.
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