भागलपुर : विभिन्न गंगा घाटों पर जुमेरात को मजार-ए-शरीफ से जोड़े व परिवार की सलामती के लिए दुआ मांगी गयी. इसे लेकर मौसमी फल नारियल, खीरा, सेब, ईख, भुट्टा, खीर-पूड़ी, हलवा आदि को डलिया व अन्य बरतन में सजा कर अकीदतमंदों ने फातिहा की.
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जोड़े की सलामती के लिए दरिया तट पर दुआ
भागलपुर : विभिन्न गंगा घाटों पर जुमेरात को मजार-ए-शरीफ से जोड़े व परिवार की सलामती के लिए दुआ मांगी गयी. इसे लेकर मौसमी फल नारियल, खीरा, सेब, ईख, भुट्टा, खीर-पूड़ी, हलवा आदि को डलिया व अन्य बरतन में सजा कर अकीदतमंदों ने फातिहा की. सभी एक ही मालिक के बंदे, तरीका अलग-अलग: गंगा तट पर […]
सभी एक ही मालिक के बंदे, तरीका अलग-अलग: गंगा तट पर मुसलिम समाज के लोगों को पूजा-पाठ की तरह रस्म पूरी करते देख दूसरे समुदाय के लोग हैरत में थे. इसके बाद अकीदतमंदों बरहपुरा इस्लामनगर की जुलेखा खातून व लाडो ने उन्हें समझाया. सभी एक ही मालिक के बंदे हैं. तरीका अलग-अलग है.
जैसे हिंदू में छठ से परिवार व बच्चों के लिए मनौती रहती है, उसी प्रकार हमलोगों में हरेक वर्ष मजार ए-शरीफ से शादीशुदा लोग जोड़े की सलामती के लिए और अन्य लोग अपने परिवार की सलामती के लिए दुआ मांगते हैं. उन्होंने बताया कि हरेक वर्ष भादो महीना में जुमेरात यानी गुरुवार की शाम को फातिहा होती है. इससे जिनकी मन्नत पूरी हो चुकी है, वे भी अपना बेड़ा पार करते हैं. कई ऐसे लोग हैं, जो मन्नत पूरी करने के लिए फातिहा करते हैं. उनका मानना है कि दरिया अर्थात नदी के जरिये उनकी दुआ की मांग मुंबई के किनारे समुद्र के बीच मजार-ए-शरीफ तक पहुंच जायेगी और खुदा मन्नत पूरी करेंगे. चूंकि हरेक नदी का पानी समुद्र में ही गिरता है.
हरेक बाधाओं से बचने के लिए परिवार के साथ मन्नत मांगते हैं. यह जुमरात के दिन भादो महीना में होता है.
रेशमा खातून, भीखनपुर
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