भागलपुर : जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डायरिया के मरीज बढ़ने लगे हैं. ओपीडी से हॉस्पिटल में भरती होने वाले मरीजों में ज्यादातर मरीज डायरिया के ही पाये जा रहे हैं. गरम-सर्द हो रहे मौसम में वैक्टीरिया ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है.
आलम यह कि मायागंज की ओपीडी से आइपीडी में आने वाले मरीजों में से अधिकतर मरीजों में डायरिया की शिकायत मिल रही है. मेडिसिन व बच्चा रोग की ओपीडी में करीब 35 प्रतिशत मरीज डायरिया के शिकार पाये जा रहे हैं. मंगलवार काे मायागंज की ओपीडी में 376 मरीज इलाज को पहुंचे. इनमें से 23 मरीज डायरिया थे. बुधवार को मायागंज की इमरजेंसी के मेडिसिन वार्ड में 11 मरीज डायरिया के भरती हुए थे. इमरजेंसी के पीडियाट्रिक्स वार्ड में भरती होने वाले बीमार बच्चों में दो-तीन बच्चे रोजाना डायरिया के आ रहे हैं.
शिगैला के कारण सर्वाधिक बच्चे डायरिया की चपेट में : वरिष्ठ फीजिशियन डॉ हेमशंकर शर्मा बताते हैं कि बिहार समेत पूरे देश में शिगैला के कारण सबसे अधिक बच्चे डायरिया की चपेट में आते हैं. यह बैक्टीरिया नालियों या मल-मूत्र वाले गंदे स्थानों पर पाये जाते हैं.
यह है डायरिया के लक्षण : बच्चे को दस्त के साथ-साथ सुस्ती, अर्द्धचेतन अवस्था में जाना, आंखें अंदर की ओर धंसना, त्वचा का सूखा होना, ब्लड प्रेशर कम होना, यूरिन(मूत्र) बंद होना या कम होना डायरिया के प्रमुख लक्षण है.
यूं बरतें सावधानी : घर के आसपास सफाई रखें, दूषित और बासी भोजन न करें. बाढ़ के बाद जलाशय के पानी गंदे हो चुके हैं. ऐसे में झिंगा व मछलियों का सेवन डायरिया का कारण हो सकता है. जंक फूड (पिज्जा, बर्गर, मोमो, चाउमिन आदि) से दूर रहें. हरी सब्जियां और फल को अच्छी तरह से धोकर ही इस्तेमाल करें. खुले में बिक रहे जूस, मिठाई, चाट-गोलगप्पा से दूर रहें. दस्त होने की स्थिति में लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें और चिकित्सक से संपर्क करें.