बाढ़ राहत शिविर में मरीजों की जांच करते चिकित्सक.
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राहत शिविरों में बढ़े बीमार
बाढ़ राहत शिविर में मरीजों की जांच करते चिकित्सक. भागलपुर : छोटे सी जगह में एक साथ सैकड़ों की संख्या में नवजात शिशु, बच्चे, महिलाएं, वृद्ध व जानवर रहने को मजबूर हैं. शहर में बने बाढ़ राहत शिविर में रह रहे लोगों की सेहत यहां पर व्याप्त गोबर-गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियों के निशाने पर […]
भागलपुर : छोटे सी जगह में एक साथ सैकड़ों की संख्या में नवजात शिशु, बच्चे, महिलाएं, वृद्ध व जानवर रहने को मजबूर हैं. शहर में बने बाढ़ राहत शिविर में रह रहे लोगों की सेहत यहां पर व्याप्त गोबर-गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियों के निशाने पर है. हालात इस हद तक बदतर है कि कभी भी इन शिविर में संक्रामक बीमारियां फैल सकती है.
सबसे बुरी स्थिति तो टिल्हा कोठी स्थित बाढ़ राहत शिविर की है. यहां पर दो से ढाई हजार बाढ़ प्रभावित बच्चे, बूढ़े, जवान व महिलाएं रह रही है. इनके साथ करीब साढ़े 350 जानवर भी हैं. रोजाना यहां पर करीब 35 क्विंटल गोबर निकल रहा है. मानव मल एवं जानवर के मूत्र के कारण हर वक्त दुर्गंध के कारण यहां के लोग परेशान हैं.
अभी तक आधा दर्जन स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर लगाया गया. शिविरों में इलाज के लिए आये मरीजों में से ज्यादातर मरीज डायरिया, उल्टी-दस्त, पाेकई(पानी में रहने के कारण फंगल इंफेक्शन), बुखार, सर्दी, खांसी, खुजली, त्वचा रोग से ग्रसित पाये गये. अगर राहत शिविरों में गंदगी,
जलजमाव को हटाकर वहां पर नियमित सफाई, ब्लीचिंग आदि का छिड़काव एवं फागिंग नहीं करायी गयी तो डेंगू, डायरिया व मलेरिया का प्रकोप बढ़ सकता है.
डॉ अजय कुमार सिंह, शिशु रोग विशेषज्ञ
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