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सबौर के बाढ़ प्रभावित प्रखंड क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांवों में राहत का कहीं पता नहीं

चारा के अभाव में बाढ़ में डूबे गांवों में मवेशियों के मरने की आशंका सबौर के स्वास्थ्य शिविर में सर्प दंश की दवा नहीं पशुओं के इलाज की बात तो दूर, टीका तक नहीं लगा भागलपुर : एेसे कई अरविंद, मालती, पंचानन सबौर क्षेत्र में बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनके पास आज तक राहत की […]

चारा के अभाव में बाढ़ में डूबे गांवों में मवेशियों के मरने की आशंका

सबौर के स्वास्थ्य शिविर में सर्प दंश की दवा नहीं
पशुओं के इलाज की बात तो दूर, टीका तक नहीं लगा
भागलपुर : एेसे कई अरविंद, मालती, पंचानन सबौर क्षेत्र में बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनके पास आज तक राहत की एक बूंद तक नहीं पहुंच सकी है, जबकि कागज पर प्रशासन बेहतर राहत सामग्री व व्यवस्था बाढ़ पीड़ितों को मुहैया कराने का दावा कर रहा है. सबौर क्षेत्र के बाबूपुर, रजंदीपुर, सबौर हरिजन टोला, नवटोलिया, चंदेरी, फरका, घोषपुर, ममलखा जैसे एक दर्जन गांव हैं, जहां के करीब दस हजार परिवार बाढ़ से बुरी तरह से जूझ रहे हैं.
बीते दस दिनाें में इन पीड़ितों के घर बुधवार को चूड़ा-गुड़ ही पहुंच सका. स्थानीय पीड़ितों की मानें तो गाय-भैंस के चारे के नाम पर बुधवार को हर पशुपालक को एक-एक डलिया (तीन-तीन किलो) भूसा उपलब्ध कराया गया. सबौर हाई स्कूल परिसर स्थित स्वास्थ्य शिविर में तो सर्पदंश की दवा तक नहीं थी. पूरे क्षेत्र में एक दिन फाॅगिंग तक नहीं हुई जबकि मायागंज हॉस्पिटल में हर रोज दो से तीन डेंगू व दर्जनों डायरिया, मलेरिया, टाइफाइड व वायरल फीवर के मरीज पहुंच रहे हैं. सफाई का आलम यह है कि कूड़े, गंदगी व गोबर के बीच बाढ़ पीड़ित व गाय-भैंस एक साथ रहने को मजबूर हैं. पशुओं के इलाज की बात ही छोड़ दें, एक भी पशु को टीका तक नहीं लगा. जबकि यहां पर हर रोज नीली बत्ती गाड़ियों पर सवार अधिकारी राहत का जायजा लेने पहुुंच रहे हैं, बावजूद ये नीली बत्ती वाले बाढ़ पीड़ितों के सपनीली आंखों में हकीकत के रंग नहीं भर पा रहे हैं.

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