भागलपुर : भागलपुर में आयी बाढ़ पशुपालकों के लिए मुसीबत बनी हुई है. खेती से लेकर घर तक बाढ़ की जद में है और इन्हें पशुओं के चारे के लिए कई-कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. फरका गांव की शकुना देवी बताती है कि बीते एक सप्ताह से वह रोजाना सुबह 10 […]
भागलपुर : भागलपुर में आयी बाढ़ पशुपालकों के लिए मुसीबत बनी हुई है. खेती से लेकर घर तक बाढ़ की जद में है और इन्हें पशुओं के चारे के लिए कई-कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. फरका गांव की शकुना देवी बताती है कि बीते एक सप्ताह से वह रोजाना सुबह 10 बजे अपने पशुओं के चारे के लिए घर से निकलती है. दो किमी नाव व तीन किमी पैदल चलने के बाद उन्हें कृषि विश्वविद्यालय सबौर से एक बोझा घास मिलता है.
इस आवाजाही में नाव का किराया 10 रुपये खर्च हो जाता है और इस चारे के इंतजाम में सुबह 10बजे से शाम पांच बज जाता है. इसी गांव की रहने मीना देवी बताती है कि घर में रखा भूसा बाढ़ के पानी में समाप्त हो गया. रोज एक बोझ घास के लिए पूरा दिन निकल जाता है. अब समझ में नहीं आता है कि पशुओं के लिए चारा खोजे या घर चलाये.
चारा हुआ महंगा, पशुपालकों की जेब हो रही खाली : बाढ़ के दौर में भूसे की किल्लत शुरू हो गयी है. सबौर निवासी राजू बताते हैं कि बाढ़ से पहले वह 600 रुपये प्रति क्विंटल भूसा खरीदते थे, लेकिन अब उन्हें 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भूसा खरीदना पड़ रहा है. यहां तक कुट्टी भी वर्तमान में 750 रुपये प्रति क्विंटल खरीदनी पड़ रही है. जबकि यह पहले 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकती थी. यहां तक 680 रुपये प्रति बोरी(39 किग्रा) की दर से बिकने वाला चोकर आज की तारीख में 770 रुपये प्रति बोरी बिक रहा है.