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इस्माइलपुर में भयावह हुई बाढ़

गंगा में उफान. जलस्तर में वृद्धि जारी, बढ़ी लोगों की परेशानी पिछले तीन दिनों से गंगा के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण पूरे इस्माइलपुर प्रखंड में बाढ़ आ गयी है. आदर्श ग्राम पश्चिमी भिट्ठा, इस्माइलपुर हाट, विनोबा दियारा, बसगढ़ा, फुलकिया, रामदिरी, वेदीराय टोला, लक्ष्मीपुर आदि पानी से घिरे हैं. गोपालपुर : इस्माइलपुर के […]

गंगा में उफान. जलस्तर में वृद्धि जारी, बढ़ी लोगों की परेशानी

पिछले तीन दिनों से गंगा के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण पूरे इस्माइलपुर प्रखंड में बाढ़ आ गयी है. आदर्श ग्राम पश्चिमी भिट्ठा, इस्माइलपुर हाट, विनोबा दियारा, बसगढ़ा, फुलकिया, रामदिरी, वेदीराय टोला, लक्ष्मीपुर आदि पानी से घिरे हैं.
गोपालपुर : इस्माइलपुर के कस्तूरबा व लक्ष्मीपुर सड़क पर पानी बहने के कारण नवगछिया से लक्ष्मीपुर का सड़क संपर्क भंग हो गया है. लोग तटबंधों व ऊंचे स्थानों पर खुले आसमान में रह रहे हैं. प्रशासन द्वारा अब तक बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री और प्लास्टिक शीट उपलब्ध नहीं करायी गयी है. हालांकि प्रशासन द्वारा 24 नाव, शौचालय तथा चापाकलों की व्यवस्था किये जाने की बात कही जा रही है. लेकिन, लोग जुगाड़ वाली नावाें का उपयोग कर रहे हैं.
पानी में डूबी बस्ती, नाव से आवागमन कर रहे लोग.
खतरे के निशान से 50 सेमी ऊपर बह रही गंगा
सभी स्परों पर बढ़ता जा रहा दबाव
रतजगा कर रहे ग्रामीण व अभियंता
रविवार दोपहर गंगा खतरे के निशान 31.60 को पार कर 32.10 मीटर पर पहुंच गयी. इससे इस्माइलपुर से लेकर बिंद टोली तक सभी स्परों पर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है. स्पर एक की अप व डाउन स्ट्रीम में कटाव का खतरा बढ़ गया है. इससे आदर्श ग्राम पश्चिमी भिट्ठा के ग्रामीण डरे हुए हैं. स्पर पांच से लेकर नौ तक पानी का दबाव बना हुआ है. स्पर छह अौर छह एन के बीच तथा स्पर सात की डाउन स्ट्रीम पर दबाव बढ़ने के कारण तटवर्ती गांव के लोगों और जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की धड़कनें तेज हो गयी हैं. अनहोनी की आशंका से सभी रतजगा कर रहे हैं. बता दें कि तत्कालीन मुख्य अभियंता द्वारा प्राक्कलन में छेड़छाड़ कर स्पर सात की डाउन स्ट्रीम में जीर्णोद्धार का काम करा दिया गया. इससे यहां की स्थिति संकटपूर्ण हो गयी है.
बिंदटोली में स्थिति संकटपूर्ण
उधर बिंदटोली के ग्रामीण गंगा के तेवर देख डरे हुए हैं. चारों तरफ पानी ही पानी है. शरण लेने के लिए तटबंध पर अब खाली जगह बची नहीं है. ऐसे में ग्रामीणों का आक्रोश शासन-प्रशासन के खिलाफ गहराता जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि संकट की इस घड़ी में सिवा आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है.

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