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देर रात तक जगना, जंक फूड बढ़ा रहा माइग्रेन
भागलपुर : प्रसिद्ध मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉ स्वयं प्रकाश (न्यूरोलॉजी में डीएम) ने कहा कि नींद का न आना, देर रात तक जागना, ज्यादा व्रत रखना, जंक फूड का अत्यधिक सेवन और शराब के सेवन से माइग्रेन का अटैक बढ़ जाता है. डाॅ प्रकाश इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन भागलपुर के तत्वावधान में होटल जेपी ग्रांड […]
भागलपुर : प्रसिद्ध मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉ स्वयं प्रकाश (न्यूरोलॉजी में डीएम) ने कहा कि नींद का न आना, देर रात तक जागना, ज्यादा व्रत रखना, जंक फूड का अत्यधिक सेवन और शराब के सेवन से माइग्रेन का अटैक बढ़ जाता है.
डाॅ प्रकाश इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन भागलपुर के तत्वावधान में होटल जेपी ग्रांड में आयोजित सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ टॉक कार्यक्रम में माइग्रेन व अन्य सिर दर्द विषय पर संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का सिर दर्द अगर तीन घंटे से लेकर तीन दिन तक रहता है. साथ ही उसे उलटी, उलटी होने की इच्छा (उबकाई) और प्रकाश देखने में तकलीफ होती है, तो उसे प्राथमिक माइग्रेन कहते हैं. यदि माइग्रेन का अटैक महीने में चार या इससे ज्यादा होता है, तो इसका न्यूरो (दिमाग) के चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए.
कार्यक्रम का संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार झुनझुनवाला ने किया. इस अवसर पर एसोसिएशन के सचिव आलोक अग्रवाल, अजय कानोडिया, रूपेश वैद्य, रोटरी क्लब आॅफ भागलपुर के अध्यक्ष दीपक सुलतानियां, महासचिव एनवी राजू, शिव कुमार साह आदि की मौजूदगी रही.
हार्ट अटैक में जरूरी नहीं कि सीने में दर्द हो : डॉ कुमार अभिषेक
कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ कुमार अभिषेक बताते हैं कि 65 या इससे अधिक उम्र के हृदय रोगी जो शुगर के मरीज भी होते हैं, उन्हें सीने में दर्द नहीं भी हो सकता है. लेकिन उन्हें यदि लूज मोशन, पेट दर्द, सांस लेने में दिक्कत, जबड़े में दर्द, अचानक बेहोशी छाने लगे, तो उन्हें हार्ट अटैक हो सकता है.
उन्होंने कहा कि 15 साल की किशोरी को अगर सीढ़ी चलने में सीने में दर्द और रुकने में दर्द समाप्त हो, तो उसे हृदय रोग हो सकता है. बैठे-बैठे दर्द होता है, शरीर से पसीना निकलने लगे, तो उसे हर्ट की समस्या हो सकती है. सीने में दर्द हो तो गैस की दवा न लें, बल्कि तीन घंटे के अंदर हृदय रोग विशेषज्ञ के पास जायें. हार्ट अटैक की दशा में अगर मरीज तीन घंटे के अंदर चिकित्सक के पास पहुंच जाता है, तो उसका थ्राेंबोलाइसिस से पूर्ण इलाज हो सकता है. हृदय रोग का अंतिम इलाज एंजियोप्लॉस्टी ही होता है.
कमर दर्द का कारण है नौकरी में असंतुष्टि : डॉ नवनीत सिंह
कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन डॉ नवनीत सिंह ने लो बैक पेन के बारे में कहा कि 20 से 50 साल की उम्र के लोगों को अगर कमर में पहली बार दर्द हो, रात में दर्द हो, जॉब में असंतुष्टि, कम सेलरी मिलना, सिगरेट का सेवन, एक्सरसाइज में कमी, अत्यधिक स्टेरायड इंजेक्शन व दवाओं के सेवन किया गया हो या फिर बुखार, हाथ-पैर में कमजोरी, सुन्नपन, अचानक बेहोशी, वजन में कमी हो, तो यह लक्षण लो बैक पेन का कारण हो सकता है. अगर बैक पेन हो रहा है तो 48 घंटे से ज्यादा बेड रेस्ट करना भी नहीं चाहिये. लगातार कमर में पैड वाला बेल्ट भी नहीं बांधना चाहिये. ज्यादा दर्द लगातार होने पर आपरेशन ही इसका अंतिम विकल्प होता है.
आयुर्वेदिक व पेन किलर दवा से हो किडनी हो सकती है डैमेज : डॉ राजेश
प्रसिद्ध किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश (डीएम नेफ्रोलॉजिस्ट) ने किडनी की बीमारी में डायलिसिस की भूमिका पर कहा कि डायलिसिस शरीर से आर्टिफिशियल तरीके से टॉक्सिन निकालता है. जबकि किडनी शरीर के टॉक्सिन को प्राकृतिक तरीके से निकालने के साथ-साथ शरीर में विटामिन डी का निर्माण भी करता है. अगर किसी को शुगर पर लगातार नियंत्रण नहीं होता है, तो उसे सतर्क हो जाना चाहिये. उसका किडनी डैमेज हो सकता है.
25 प्रतिशत किडनी डैमेज हाई बीपी के कारण होता है. सेप्टिसिमिया, पानी की कमी, रोड एक्सीडेंट, आयुर्वेदिक व पेन किलर दवाओं के कारण एक्यूट किडनी डैमेज हो सकता है. एक्यूट किडनी फेल्योर में दोनों किडनी अचानक फेल हो सकती है. सही समय पर अगर डायलिसिस न किया जाये, तो यह जानलेवा हो सकता है. भविष्य में वीयरेबल किडनी डायलिसिस बाजार में आ जायेगा. इसमें मरीज इस किट को बेल्ट की तरह पहनेगा और चार घंटे में बात करते, टहलते हुये वह अपना डायलिसिस करा सकेगा.
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