50 मीटर के दायरे में हुआ कटाव
पुरानी रेलवे लाइन के नजदीक डाउन स्ट्रीम और शिव मंदिर के निकट हो रहा कटाव
गोपालपुर : चार दिनों से हो रही बारिश से कोसी के जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. इससे सहौड़ा मदरौनी गांव में कटाव भी जारी है. मंगलवार को करीब 50 मीटर के दायरे में कटाव हुआ. पुरानी रेलवे लाइन के नजदीक डाउन स्ट्रीम में और शिव मंदिर के निकट भी कटाव हो रहा है.
दूसरी ओर विभागीय स्तर से कराया जा रहा बचाव कार्य सोमवार को बंद कर दिया गया था. इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गये, जिसे देखते विभाग ने मंगलवार को एक बार फिर से तात्कालिक तौर पर कटाव निरोधी कार्य शुरू कराया. आये दिन कटाव का दायरा बढ़ने से ग्रामीण भयभीत हैं. अभियंताओं को लगातार हो रही बारिश में फ्लड फाइटिंग का काम कराने में परेशानी हो रही है. विभाग ने तीन कार्यपालक अभियंताओं को तैनात किया है, लेकिन कटाव पर काबू पाना इनके लिए मुश्किल हो रहा है.
पिछले वर्ष कोसी के कटाव से सहौड़ा का अस्तित्व समाप्त हो गया था. इस वर्ष मदरौनी कटाव की चपेट में है. हालांकि जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता ई राजू सिन्हा सहित अभियंताओं का दल मदरौनी मैं कैंप कर फ्लड फाइटिंग के तहत काम करा रहे हैं. लेकिन, कोसी के कहर के सामने अभियंताओं की फौज बेबस नजर आ रही है.
गंगा के जलस्तर में वृद्धि, स्पर पांच से सात तक बढ़ा दबाव : इधर गंगा के जल स्तर में भी वृद्धि जारी है. इससे इस्माइलपुर से लेकर बिंद टोली के बीच स्पर पांच से लेकर सात की डाउनस्ट्रीम तक पानी का दबाव बढ़ने लगा है. बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष ई उमाशंकर सिंह व विशेषज्ञ ई प्रकाश चंद्र ने स्पर पांच से लेकर सात तक का निरीक्षण कर कई आवश्यक निर्देश दिये.
कहते हैं कार्यपालक अभियंता
नवगछिया बाढ़ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ई अवधेश झा ने बताया कि बाढ़ व कटाव की दृष्टि से नवगछिया काफी संवेदनशील है. यहां गंगा व कोसी नदी के इस्माइलपुर, बिंद टोली, राघोपुर, काजीकोरैया, सहौड़ा, मदरौनी, पीपरपांती, मरैचा आदि संवेदनशील स्थान हैं. विभाग ने काफी सोच विचार कर सहौड़ा, मदरौनी में अलग से तीन कार्यपालक अभियंताआें को फ्लड फाइटिंग कार्य के लिए प्रतिनियुक्त किया है. कटाव निरोधी कार्य कटाव रोकने के लिये नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य लांचिंग एप्रोन के सिंक करने के बाद किये गये कार्य से कटाव को रोकना है.
घटिया व निम्न स्तरीय कटाव निरोधी कार्य सहौड़ा मदरौनी व अन्य सभी जगहों पर कराये जाने के आरोप पर कार्यपालक अभियंता ने कहा कि सारे कार्य वरीय अभियंताओं की देखरेख में हुए हैं. उन्होंने लगाये गये छोटे-छोटे पत्थरों के बारे में कहा कि 40 से 50 किलो के पत्थर लगाना चाहिए. लेकिन, थोड़ा बहुत कम वजन के पत्थर से कोई पर्क नहीं पड़ता है. बंगाल व असम में छोटे-छोटे पत्थरों से कार्य कराया जाता है.