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कोर्ट के फैसले पर बीएड प्रवेश के छात्रों की नजर
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बीएड कोर्स में नामांकन के लिए आवेदन करने वाले पांच हजार से ज्यादा छात्रों की नजर कोर्ट के फैसले पर लगी है. दो महीना बाद भी इस मामले में कोर्ट ने अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है. हालांकि पिछले दिनों सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में […]
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बीएड कोर्स में नामांकन के लिए आवेदन करने वाले पांच हजार से ज्यादा छात्रों की नजर कोर्ट के फैसले पर लगी है. दो महीना बाद भी इस मामले में कोर्ट ने अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है. हालांकि पिछले दिनों सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा को लेकर प्राइवेट बीएड कॉलेज और तिलकामांझी भागलपुर विवि के बीच खींचतान चल रही है.
निजी बीएड कॉलेजों को नहीं रास आ रहा नया नियम : बीएड कॉलेजों के संचालन के लिए राजभवन ने नये आर्डिनेंस रेगुलेशन बनाया है, जिसमें कॉलेजों में उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर फीस को लेकर नयी गाइड लाइन बनायी गयी है. यह गाइड लाइन निजी बीएड कॉलेजों के संचालकों को पसंद नहीं आ रहा है. अधिक फीस लेने के सवाल पर उनका कहना है कि जब वह सुविधाएं देंगे, तो उसके बदले में अधिक फीस तो लेना ही पड़ेगा. ऐसे में संयुक्त प्रवेश परीक्षा को लेकर निजी बीएड संचालक कोर्ट की शरण में गये हैं.
संयुक्त प्रवेश परीक्षा से आयेगी पारदर्शिता : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का तर्क है कि बीएड में नामांकन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा से पारदर्शिता आयेगी.
परीक्षा के जरिए मेरिट से चुनकर मेधावी छात्र प्रवेश लेंगे. इससे निजी बीएड कॉलेजों की मनमानी पर रोक लगेगी.
पांच हजार से ज्यादा छात्रों ने किया है आवेदन
भागलपुर स्थित 13 बीएड कॉलेजों में उपलब्ध 1300 सीटों के लिए पांच हजार से ज्यादा छात्रों ने आवेदन किया है, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंचने के कारण एडमिशन की प्रक्रिया नहीं शुरू हो पा रही है. टीएमबीयू के प्रोवीसी प्रो अवध किशाेर राय ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट जो फैसला सुनायेगा उसके बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है.
इस हफ्ते कभी भी आ सकता है फैसला
बीएड नामांकन प्रवेश परीक्षा को लेकर निजी बीएड कॉलेजों और तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के बीच हाइकोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो चुकी है. इस मामले में इस सप्ताह कभी भी फैसला सुनाया जा सकता है. क्योंकि कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है.
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