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शिक्षा लोन में बरत रहे हैं कंजूसी तो स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का क्या होगा

भागलपुर : उप विकास आयुक्त अमित कुमार ने बताया कि शिक्षा लोन में बैंक कंजूसी कर रहे हैं तो आगे स्टूडेंट क्रेडिट जैसी अहम योजनाओं का हाल क्या होगा. इस तरह की लापरवाही ठीक नहीं हैं. उन्होंने हर तरह की वित्तीय गतिविधि में फिसड्डी रहे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया […]

भागलपुर : उप विकास आयुक्त अमित कुमार ने बताया कि शिक्षा लोन में बैंक कंजूसी कर रहे हैं तो आगे स्टूडेंट क्रेडिट जैसी अहम योजनाओं का हाल क्या होगा. इस तरह की लापरवाही ठीक नहीं हैं. उन्होंने हर तरह की वित्तीय गतिविधि में फिसड्डी रहे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखने का निर्देश दिया. वे डीआरडीए सभागार में शुक्रवार को जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बैंक सौ से 200 फीसदी तक वार्षिक लक्ष्य को पूरा करते हैं, मगर यहां पर कुछ ही बैंक ने अच्छी उपलब्धि की है. इस मामले में इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक और पंजाब सिंध बैंक 12 फीसदी से नीचे ही रहे. उन्होंने कहा कि शिक्षा लोन में सबसे खराब स्थिति निजी बैंक की है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने कोई लोन नहीं दिया है. वहीं प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की उपलब्धि शून्य और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने कोई आवेदन नहीं लिया. मौके पर डीआरडीए निदेशक संजय शर्मा, एलडीएम आनंद मोहन दास, बैंकिंग प्रभारी इबरार आलम आदि उपस्थित थे.

नहीं आने पर सात बैंकों से स्पष्टीकरण : यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, देना बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, पंजाब व सिंध बैंक.
विभिन्न बैंक को दी गयी शाखा खोलने की सूची : डीडीसी ने 43 शाखाओं के लिए सभी बैंक को अपने-अपने पंचायत की सूची दे दी गयी. इन्हें अगली तिमाही बैठक से पहले शाखा खोलने की कार्रवाई को पूरा करने के लिए कहा है.
जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति की बैठक में बोले डीडीसी
ओवर ऑल फिसड्डी रहे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ आरबीआइ को पत्र
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड को लेकर बैंक को तैयारी करने के निर्देश
सर्टिफिकेट केस में पुलिस बरत रही लापरवाही
समीक्षा के दौरान बताया गया कि लोन वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस किया जाता है. इसमें बॉडी वारंट पर कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा जाता है, मगर वह कार्रवाई नहीं करते हैं. इससे लोन की वसूली नहीं हो पाती है.

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