परेशानी. लगातार हो रही प्रसूताओं की मौत, कार्रवाई शून्य
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आखिर कब जागेगा विभाग
परेशानी. लगातार हो रही प्रसूताओं की मौत, कार्रवाई शून्य हाल के िदनों में सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं की लगातार मौत हो रही हैं , लेकिन अब तक किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. स्वास्थ्य िवभाग के इस रवैये से आम लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने में हिचकने लगे हैं. भागलपुर : […]
हाल के िदनों में सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं की लगातार मौत हो रही हैं , लेकिन अब तक किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. स्वास्थ्य िवभाग के इस रवैये से आम लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने में हिचकने लगे हैं.
भागलपुर : तीनाें मामले में एक ही किस्म की लापरवाही है. चिकित्सक का न होना और समय से मुकम्मल इलाज की व्यवस्था न होना. अगर एक भी मामले में स्वास्थ्य विभाग ने लापरवाहों को उनके अंजाम तक पहुंचाया होता और ढीले पेंच को कसा हाेता तो शायद बिहपुर की गीता की मौत तो नहीं होती. इस मामले में सिविल सर्जन का यहीं कहना है कि चिकित्सकों की कमी. अगर चिकित्सक की कमी तो फिर सुलतानगंज में रीना और सदर अस्पताल में सपना की मौत का जिम्मेदार कौन है.
होती रही मौतें सोता रहा स्वास्थ्य विभाग : एमडीआर(मातृत्व मृत्यु दर) के आंकड़ों पर ध्यान दें तो मालूम पड़ेगा कि पहले तो स्वास्थ्य विभाग ने एमडीआर के आंकड़ों से खेलते रहे और असल मौतों को छिपाते रहें. जनवरी में जब जिले के डीएम आदेश तितरमारे ने स्वास्थ्य विभाग को लताड़ लगायी तो स्वास्थ्य विभाग जागा और अपने सभी ढीले पेंचों को कस दिया. आंकड़ाें के मुताबिक, 24 नवंबर से 31 दिसंबर 2015 के बीच 15, जनवरी 2016 में 18, फरवरी में 11, मार्च में 13, अप्रैल में 14, मई में 07 और जून में अब तक चार महिलाओं की मौत हो चुकी है.
ज्ञातव्य हो कि एमडीआर में 15 से 49 साल तक की उन महिलाओं की मौत है, जिनकी प्रसव के 42 दिन के अंदर किसी भी कारण से मौत हो गयी हो.
प्रभारी से मांगा है मामले का डिटेल : सिविल सर्जन : सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने बताया कि उन्होंने पीएचसी बिहपुर के प्रभारी से इस पूरे मामले का स्पष्टीकरण मांगा है. रिपोर्ट के आधार पर दोषी से शो-काॅज किया जायेगा.
केस स्टडी
केस नंबर
19 मई 2016 को बांका जिले के विजयनगर की पत्नी सपना मिश्रा को प्रसव दर्द हाेने पर सदर अस्पताल में भरती कराया गया. 20 मई को डिलेवरी में उसे पुत्र हुआ. ब्लीडिंग होने पर उसे अस्पताल में तैनात चिकित्सकों एवं नर्सों ने एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया. जहां से सपना को जेएलएनएमसीएच रेफर कर दिया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस मामले में हो हल्ला मचा तो आशा कार्यकर्ता को जांच के दायरे में लाकर इसकी जांच सीएस बांका को देते हुए रिपोर्ट मांगी गयी. फिर यह मामला यहीं का यहीं रह गया.
दस मई को रात में रेफरल अस्पताल सुलतानगंज में यहीं की निवासिनी रीना देवी को प्रसव के लिए भरती कराया गया. प्रसव बाद उसे पुत्र पैदा हुआ. बाद में उसे ब्लीडिंग हुई तो उसे जेएलएनएमसीएच रेफर कर दिया गया. जहां रास्ते में उसकी मौत हो गयी. इसमें भी हो-हल्ला मचा तो जांच में पाया गया कि नाइट ड्यूटी से यहां के एमबीबीएस चिकित्सक गायब रहते हैं और आयुष चिकित्सकों से ड्यूटी करायी जाती है. इसमें भी सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने कार्रवाई के नाम पर एक चिकित्सक डॉ एके सिन्हा का नवगछिया ट्रांसफर कर दिया जबकि दूसरे चिकित्सक डॉ केबी पटेल के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने के लिए विभाग को पत्र लिख अपना पल्ला छुड़ा लिया. तब से यह मामला भी वहीं का वहीं रह गया.
नौ जून को बिहपुर निवासी पिंटेश कुमार की पत्नी गीता देवी को प्रसव दर्द होने पर पीएचसी बिहपुर में भरती कराया गया. प्रसव बाद उसे ब्लीडिंग हुई तो हालत गंभीर बता उसे मायागंज हॉस्पिटल (जेएलएनएमसीच) रेफर कर दिया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. इस मामले में जांच-कार्रवाई की स्पीड इतनी ही है कि दो दिन में स्वास्थ्य विभाग सिर्फ मामले की रिपोर्ट पीएचसी बिहपुर के प्रभारी से मांग सके हैं.
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