दुर्घटना. सड़क पार करने के लिए नवोदय चौक पर खड़े थे दोनों छात्र
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मरते दम तक नहीं छूटा दोनों का साथ
दुर्घटना. सड़क पार करने के लिए नवोदय चौक पर खड़े थे दोनों छात्र नवोदय चौक के पास दोपहर दो बजे दोनों छात्र खड़े थे. खगड़िया की ओर से आ रहे पिकअप वैन और ट्रक के बीच जबरदस्त टक्कर हो गयी. पिकअप एक बिजली के खंभे से टकराते हुए बगल की एक चाय दुकान के आगे […]
नवोदय चौक के पास दोपहर दो बजे दोनों छात्र खड़े थे. खगड़िया की ओर से आ रहे पिकअप वैन और ट्रक के बीच जबरदस्त टक्कर हो गयी. पिकअप एक बिजली के खंभे से टकराते हुए बगल की एक चाय दुकान के आगे पलट गया. वहां पहले से खड़े दोनों छात्र उसके नीचे दब गये. चाय दुकानदार और दूध विक्रेता व बलाहा के बबलू को भी जबरदस्त चोटें आयी हैं. ये लोग पिकअप के नीचे दबने से बाल-बाल बच गये. टक्कर के बाद ट्रक चालक ट्रक लेकर भाग निकला.
नवगछिया/नारायणपुर : घायलों में नारायणपुर नगरपड़ा के महादेव सिंह, दुकानदार नारायणपुर के सीताराम यादव, नारायणपुर के बलाहा निवासी बबलू ठाकुर के अलावा पिकअप पर सवार दरभंगा निवासी तिलम भगत की पत्नी डोमनी देवी (30), राजेश भगत की पत्नी सरस्वती देवी (29), मुकेश भगत की पत्नी गायत्री देवी (25), तfलो भगत की पत्नी डोमनी देवी (50), तिलक भगत की पुत्री पार्वती कुमारी (12), लालबाबू (23), मुकेश भगत, वैष्णवी कुमारी, राजकुमार, राजेश भगत, प्रह्लाद कुमार, प्रिंस कुमार, पुष्पा कुमारी व अन्य हैं. सभी का इलाज नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में किया गया. इलाज के बाद सभी अपने अपने घर गये. दरभंगा के घायलों ने बताया कि वे लोग कहलगांव के बटेश्वर स्थान मुंडन कराने जा रहे थे.
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग शवों को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल भेजा दिया. मामले की प्राथमिकी भवानीपुर थाने में दर्ज कर ली गयी है. बता दें कि नगरपाड़ा के नवोदय चौक के पास एक वर्ष में एक दर्जन से अधिक भयानक हादसे हो चुके हैं, जिनमें अब तक 14 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
हमेशा साथ रहते थे दोनों विवेक : दिलीप सिंह का पुत्र विवेक और प्रेमराज उर्फ योगेंद्र सिह का पुत्र विवेक दोनों का नाम तो एक था ही, दोनों एक ही स्कूल, एक ही कक्षा और एक ही गांव के थे. इस कारण हमेशा दोनों साथ साथ रहते थे. यही कारण था कि जब योगेंद्र सिंह का पुत्र खेत देखने जा रहा था तो उसकी साइकिल पर दिलीप सिंह का पुत्र भी सवार हो गया. दोनों के परिजनों ने कहा कि गरमी की छुट्टी चल रही है इस कारण दोनों बच्चे अपने अपने घर के काम में भी हाथ बंटाते थे. दोनों ने नया नया साइकिल चालाना भी सीखा था. इस कारण दोनों छुट्टियों में खूब साइकिल चलाया करते थे. दोनों के परिवार वालों का कहना था कि बचपन से ही विवेक एक दूसरे के बिना सिर्फ रात में घर पर ही होते थे. आंख खुलते ही दोनों साथ-साथ होते थे. दोनों अपने घर का सबसे छोटा था. इसलिए दोनों के अपने परिजनों का दुलारा भी था. परिजन कहते थे कि दोनों पढ़ने में औसत ही थे लेकिन कमजोर नहीं था. खास बात थी कि दोनों मेहनती थे. दोनों अपने दोस्तों के बीच लोकप्रिय भी था.
पुत्र का शव देख कर फफक पड़े प्रेमराज गुंजन उर्फ योगेंद्र : ज्यों ही विवेक के पिता प्रेमराज गुजन को घटना की जानकारी मिली वे दोड़ कर नवोदय चौक पहुंचे. जैसे ही उन्होंने विवेक के शव क्षत विक्षत शव को देखा कि वह फ फक कर रो पड़े. घर में विवेक की मां रेखा देवी का विवेक की मृत्यु की खबर सुनते ही अचेत हो गयी. विकेक का बड़ा भाई रुपश और उसकी बड़ी बहन का भी रो रो कर बुरा हाल है. इधर दिलीप सिंह के सबसे बड़े पुत्र वरुण छोटे भाई विवेक के शव को सीने से लगा कर फफक कर रो पड़ा. विवेक का पूरा परिवार मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर कर रहा है. विवेक के बलाहा गांव के डीलर रामावतार सिंह का भतीजा है.
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