महंगाई से राहत नहीं. हरी सब्जियों के भाव में उतार-चढ़ाव जारी
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आलू गरम, प्याज खुद पर बहा रहा आंसू
महंगाई से राहत नहीं. हरी सब्जियों के भाव में उतार-चढ़ाव जारी लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. पिछले साल जहां प्याज महंगा था वहीं इस साल आलू महंगा है. भागलपुर : इन दिनों जिले में सब्जी के राजा आलू का भाव लगातार बढ़ने से उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गयी है. प्याज […]
लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. पिछले साल जहां प्याज महंगा था वहीं इस साल आलू महंगा है.
भागलपुर : इन दिनों जिले में सब्जी के राजा आलू का भाव लगातार बढ़ने से उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गयी है. प्याज के भाव में गिरावट के कारण दो वर्षों से लगातार लोगों का आंसू बहाने के बाद इस बार प्याज खुद पर आंसू बहाने लगा है.
प्याज 7 से 10 रुपये, तो आलू 15 से 17 रुपये किलो बिक रहा : बिना आलू की सब्जी के काम चलना मुश्किल हो जाता है. आलू के थोक कारोबारी गुड्डू बताते हैं कि अभी थोक में आगरा से आने वाला आलू 1300 से 1550 रुपये क्विंटल, जबकि बंगाल वर्धमान व मेमारी से आने वाला आलू 1700 रुपये क्विंटल मिल रहा है. उन्होंने बताया इस बार आलू उत्पादक क्षेत्र उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, स्थानीय कहलगांव, पीरपैंती आदि क्षेत्र में उत्पादन नहीं हो सका. आलू की बुआइ ठीक-ठाक रही, लेकिन फलन अच्छा नहीं रहा. इसी कारण आलू का भाव लगातार बढ़ रहा है.
600 रुपये क्विंटल आलू का रोजाना खपत : आगरा से आने वाले एक क्विंटल के पैकेट में दो से तीन किलो तक खराब हो जाता है, जबकि बंगाल के आलू में कोई खराबी नहीं रहती. उन्होंने बताया कि भागलपुर मंडी में रोजाना तीन ट्रक आलू की खपत है. इसमें 600 क्विंटल आलू आता है.
80 रुपये तक पहुंची हरी मिर्च : हरी सब्जी दुकानदार मुन्ना ने बताया कि पुरबा व पछिया के कारण हरी सब्जियों के भाव में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है. अभी हरी सब्जी के भाव में उतार चल रहा है. इसके विपरीत सिंचाई के अभाव में हरी मिर्च के पौधे सूख गये. इससे हरी मिर्च का उत्पादन घट गया और 40 रुपये किलो वाली मिर्ची 80 रुपये किलो पर पहुंच गयी.
आगरा से आने वाला आलू 1300 से 1550 रुपये क्विंटल, जबकि बंगाल वर्धमान व मेमारी से आने वाला आलू 1700 रुपये क्विंटल बिक रहा
सब्जियों के खुदरा भाव
सब्जी भाव
आलू 17 से 20 रुपये किलो
प्याज 12 से 14 रुपये किलो
भिंडी 20
परोल 10 से 12
करेला 20 से 30
बोड़ा 16 से 20
हरी मिर्च 80
टमाटर 25 से 30
रो रहे प्याज के किसान
प्याज का कारोबार करने वाले गुड्डू ने बताया कि इस बार प्याज का लागत भी किसानों को निकालना मुश्किल हो रहा है. चूंकि किसानों ने अधिक संख्या में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए प्याज का उत्पादन कर लिया. इसमें अधिकतर किसान निम्न वर्ग हैं, जिन्हें प्याज स्टोर करने की जगह नहीं है. ऐसे में प्याज को जैसे-तैसे बेचना पड़ रहा है. अभी प्याज थोक में 700 से 1000 रुपये क्विंटल मिल रहा है, जो कहलगांव, एकचारी, मॉछीपुर, गोराडीह, लखीसराय, मुंगेर आदि स्थानों से मंडी में पहुंच रहा है. रोजाना 250 क्विंटल प्याज की खपत होता है. मुंगेर के प्याज उत्पादक विपिन यादव ने बताया कि पहले नासिक से प्याज मंगाया जाता था. अब जब स्थानीय स्तर पर प्याज का उत्पादन हुआ, तो प्याज का भाव ही नहीं मिल पा रहा है. वहीं एकचारी के प्याज किसान अशोक मंडल ने कहा कि स्टोरेज की सुविधा नहीं होने से सड़ने के डर से प्याज को औने-पौने दाम में बेचना पड़ रहा है.
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