भागलपुर : अंग की धरती ने न सिर्फ कला-संस्कृति में अपनी पहचान बनायी है, बल्कि यहां जन्में लोगों ने वीरता साबित की है, तो अपनी प्रतिभा से सभी को चकित भी किया है. ऐसी ही कहानी है भागलपुर के एक चाचा और उनके भतीजा की. चाचा का दुश्मनों के साथ किये गये मुठभेड़ की कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देंगे,
तो भतीजा की प्रतिभा आपको गर्व से भर देगी.
बिहार पुलिस अकादमी, पटना से पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हुए अपर पुलिस अधीक्षक रवींद्र रजक इस बात से काफी खुश हैं कि उनका भतीजा राजकिशोर ने यूपीएससी में तीसरी बार सफलता पायी. रवींद्र रजक बिहार पुलिस में पराक्रम सेवा के लिए जाने जाते रहे. वर्ष 1981 में श्री रजक भागलपुर में पुलिस उप निरीक्षक के पद पर थे.
वह एक हवलदार और एक कांस्टेबल के साथ बस से शाहकुंड लौट रहे थे. रास्ते में एक अपराधी ने ड्राइवर पर बस रोकने का दबाव डाला. कांस्टेबल ने आपत्ति जतायी, तो अपराधी ने उनके ऊपर रिवाल्वर तान दिया और लूटपाट करना शुरू कर दिया. श्री रजक बरदाश्त नहीं कर सके अपराधियों को रोकने के लिए खड़े हो गये. दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गयी और श्री रजक ने एक अपराधी को मार गिराया और उनकी गोली से दो डकैत घायल हो गये.
इस सफलता पर उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 1984 में वीरता पुलिस पदक से अलंकृत किया गया. वर्ष 2004 में गया में श्री रजक अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के पद पर थे. उन्हें जानकारी मिली कि घने जंगल क्षेत्र में कई अपराधी टिके हुए हैं. अपनी टीम लेकर वह जंगल में घुस गये और मुठभेड़ शुरू कर दिया. दो बंकर ध्वस्त कर दिये और अपराधियों के कई सामान जब्त किये. इस पराक्रम सेवा के लिए उन्हें सोनपुर मेला में प्रांतीय पुरस्कार राज्यपाल, मुख्यमंत्री व पुलिस महानिदेशक के हाथों प्राप्त हुआ.
श्री रजक का भतीजा लालूचक इशाकचक के एलआइसी कॉलोनी के रहनेवाले राजकिशोर ने सिविल सर्विस परीक्षा में तीसरी बार सफलता हासिल की. इससे पहले उन्होंने 2012 में सफलता पायी थी, जिसमें उन्हें इंडियन पोस्टल सर्विस के लिए चयनित किया गया था. 2014 में मिली सफलता में वह इनकम टैक्स ऑफिसर बने. उनके पिता फणिंद्र रजक रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हैं. राजकिशोर ने सैनिक स्कूल तिलैया से प्लस टू किया था.
सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से इकोनॉमिक्स से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. आइआइएफसी दिल्ली से एमबीए करने के बाद एक साल हेल्पेज इंडिया एनजीओ के लिए काम किया. उनका चयन प्रधानमंत्री रूरल डेवलपमेंट फेलोशिप के लिए भी हुआ था. श्री रजक ने बताया कि गत 10 मई को जब तीसरी बार यह सुनने को मिले कि राजकिशोर ने फिर सफलता पायी, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा.