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गुनाहों से मुक्ति की रात है शब-ए-बरात

भागलपुर : शब -ए-बरात उर्दू इसलामिक कैलेंडर के शाबान माह की 15वीं तारीख को मनाया जाता है. इस रात को लैलेतुल बारात की रात के रूप में भी जाना जाता है. इस रात में इबादत करने वालों को एक हजार महीनों के बराबर सबाब मिलती है. इस बार 22 मई को शब -ए- बरात मनाया […]

भागलपुर : शब -ए-बरात उर्दू इसलामिक कैलेंडर के शाबान माह की 15वीं तारीख को मनाया जाता है. इस रात को लैलेतुल बारात की रात के रूप में भी जाना जाता है. इस रात में इबादत करने वालों को एक हजार महीनों के बराबर सबाब मिलती है. इस बार 22 मई को शब -ए- बरात मनाया जायेगा. इसे लेकर कब्रिस्तानों, मसजिदों व घरों की साफ -सफाई करायी जाती है. त्योहार में बनने वाले पकवान के लिए बाजार में लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी है.

त्योहार को लेकर पटाखा का बाजार भी गरम होने लगा है. मुसलिम इलाकों में दर्जनों पटाखों की दुकानें सजने लगी है. शब -ए- बरात को लेकर बच्चे खासे उत्साहित है. मदरसा जामिया शहबाजिया के हेड शिक्षक मुफ्ती मौलाना फारूक आलम अशरफी ने बताया कि शब -ए- बारात हर ईमानवालों के लिए खास महत्व रखता है. यह रात गुनाहों से मुक्ति की भी रात है. इस रात में अल्लाह आसमान -ए- दुनिया की तरफ होते है.

हजरत जिब्रिल फरिश्तों की टीम के साथ जमीन पर उतरते है. इबादत करने वालों की दुआ सीधे -सीधे अल्लाह तक पहुंचाते है. मगरिब की नमाज के बाद लोग अपने -अपने रिश्तेदारों के कब्र पर जा कर दुआ -ए- मगफिरत करते हैं. इस रात में ईमानवाले भाई घरों व मसजिदों में रात भर जाग कर इबादत में गुजारते हैं. यह सिलसिला सुबह की नमाज तक चलता रहता है. शब -ए- बारात के दूसरे दिन लोग नफिल की रोजा रखते हैं.

इन लोगों नहीं होती दुआ कबूल : इस रात में मुशरिक, मां-पिता से झगड़ा करने वाले, शराब पीने वाले, कमजोर व असहाय पर अत्याचार करने वाले और मन में दुश्मनी या बदला का भाव रखने वालों की दुआ अल्लाह नहीं कबूल फरमाते हैं. इसके अलावा रिश्तेदारों से दूरी रखने वाले.
ज्यादा से ज्यादा करें इबादत : इस रात को ईमानवालों को चाहिए कि रात भर मसजिदों व घरों में जाग कर ज्यादा से ज्यादा इबादत करे. गुनाहों से तौबा करें. नफिल की नमाज कसरत से पढ़ें. तस्बीहात पढ़ें. कुरान -ए-पाक की इबादत करें. इस मौके पर मुहल्लों में जलसा का आयोजन करें.
उर्दू इसलामिक कैलेंडर के शाबान की 15वीं तारीख को मनाया जाता है शब-ए-बरात
त्योहार का उद्देश्य
शब -ए -बारात आपस में मिल कर रहने का संदेश देता है. कमजोर व असहाय लोगों की मदद नि : स्वार्थ भाव से करें. एक -दूसरे के लिए काम आये. किसी पर अत्याचार नहीं करें. समाज की भलाई के लिए काम करें.
साल भर का लेखा जोखा पेश करते हैं
शब -ए-बारात की रात कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि इस रात में फरिश्ते साल भर का लेखा -जोखा अल्लाह के समक्ष पेश करते हैं. किसे रोजी देना है, किसे दुनिया में भेजना है, दुनिया से कौन लोग परदा फरमायेंगे, तमाम चीजों पर अल्लाह की मुहर लगती है.

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