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10 दिन में 10 रु महंगा अरहर

महंगाई की मार. 10% तक बढ़ गयी खाद्यान्न व दाल की कीमत बेमौसम बारिश के कारण खाद्यान्न बाजार पर महंगाई की मार है. पिछले वर्ष से इस बार दलहन के भाव महंगा है. दो वर्ष के दौरान दाल की कीमत दुगुनी हो गयी. और 10 दिन पहले से 10 फीसदी तक दाल के भाव बढ़े […]

महंगाई की मार. 10% तक बढ़ गयी खाद्यान्न व दाल की कीमत

बेमौसम बारिश के कारण खाद्यान्न बाजार पर महंगाई की मार है. पिछले वर्ष से इस बार दलहन के भाव महंगा है. दो वर्ष के दौरान दाल की कीमत दुगुनी हो गयी. और 10 दिन पहले से 10 फीसदी तक दाल के भाव बढ़े हैं. इससे गरीबों की थाली से दाल गायब होने लगी है. मध्यम वर्ग के भोजन की थाली में दाल पतली होने लगी है.
भागलपुर : थोक कारोबारी पीयूष कुमार बताते हैं कि जिस अरहर दाल का भाव दो साल पहले 65 रुपये किलो था, वही अभी थोक में 125 से 130 रुपये किलो बिक रहा है. चना 44 से 70 रुपये हो गया है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष भी बेमौसम बारिश का असर दलहन पर था. इस बार भी देश के दलहन उत्पादक प्रांतों में बेमौसम बारिश का असर है. खुदरा किराना कारोबारी ओम प्रकाश कानोडिया ने बताया कि बेमौसम बारिश के कारण दाल का भाव बढ़ रहा है. जबकि काबुली चना पर एक्साइज ड्यूटी चार प्रतिशत तक बढ़ने से कीमत बढ़ी है.
ट्रांसपोर्टिंग व मजदूरी पर आता है खर्च
(जिंस)खाद्यान्न बाजार में ट्रांसपोर्टिंग व मजदूरी में खर्च के कारण थोक बाजार से खुदरा बाजार में जाने पर 10 फीसदी तक दाम बढ़ जाते है. किराना व्यवसायी अमित सिंह बताते हैं कि ट्रांसपोर्टिंग खर्च, मजदूर खर्च व मुनाफा मिला कर 10 फीसदी तक थोक से खुदरा बाजार में सामान के भाव बढ़ जाते हैं. इसी पर खुदरा बाजार के दाम का उतार-चढ़ाव आधारित है. खुदरा व्यवसायी विजय कुमार ने बताया कि जब धंधा मंदा रहता है तब सामान की ढुलाई खर्च को ध्यान में रखते हुए ग्राहकों को सामान बेच देते हैं.
खाद्यान्न दो वर्ष पहले पिछले वर्ष का भाव
चना दाल 44 रुपये किलो 58 रुपये
मसूर दाल 70 रुपये किलो 75 रुपये
अरहर 65 रुपये किलो 102 रुपये
नोट:- सभी भाव थोक दुकान से प्राप्त
दाल एक माह पहले का भाव 10 दिन पहले वर्तमान भाव
अरहर दाल 130 135 145
चना दाल 65 70 75
मूंग दाल 98 100 100
काबुली चना 80 90 110
मसूर 70 75 80
नोट:- सभी भाव खुदरा किराना दुकान के
प्याज नरम, आलू गरम
स्थानीय मंडियों में बिक रहे 15 से 18 रुपये प्रति किलो आलू
भागलपुर. एक ओर जहां लोग प्याज के चढ़े भाव से निजात मिला, वहीं दूसरी ओर आलू के लगातार भाव चढ़ने से उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ती जा रही है. 10 दिन में 13 से 18 रुपये प्रति किलो पर आलू पहुंच गया है.
लोगों का कहना है कि सब्जियों का राजा आलू के भाव चढ़ने से थाली से मुख्य व्यंजन तैयार होने में दिक्कत आने लगी है. चूंकि आलू ही ऐसी सब्जी है, जो किसी भी सब्जी में मिलाकर बनाया जा सकता है.
कम उत्पादन के कारण बढ़े भाव : आलू व प्याज कारोबारी गुड्डू ने बताया कि पश्चिम बंगाल का आलू आने पर 1600 रुपये पड़ेगा, इसलिए अभी बंगाल से आलू नहीं मंगाया जा रहा है. यहां पर भी उत्पादन कम हुआ. यहां पर उत्तरप्रदेश का 1300 से 1500 रुपये क्विंटल आलू मिल रहा है. देसला आलू 1400 आलू, धूपगुड़ी का आलू 1200 रुपये में मिल रहे हैं.
लगातार भाव बढ़ने के कारण यहां भी आलू के भाव चढ़े हैं. वहीं उन्होंने बताया कि इस बार जिन किसानों के प्याज के चढ़े भाव को देखते हुए प्याज की खेती की, वे पछता रहे हैं. प्याज का भाव थोक में 700 से 900 रुपये क्विंटल हो गया हैं. किसान को लागत भी नहीं मिल पा रहा है.
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