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दमा के सर्वाधिक मरीज होते हैं बच्चे : डॉ डीपी सिंह

भागलपुर : जेएलएनएमसीएच के चेस्ट एंड मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह ने कहा कि देश में अस्थमा (दमा) के जितने भी मरीज होते हैं उनमें से सर्वाधिक संख्या बच्चों की होती है. यह रोग धूल, धुंआ, पालतू जानवर, कॉक्रोच, परागकण, अनुवांशिकता, दवाओं के प्रयोग आदि से होता है. बच्चाें में अस्थमा का लक्षण […]

भागलपुर : जेएलएनएमसीएच के चेस्ट एंड मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह ने कहा कि देश में अस्थमा (दमा) के जितने भी मरीज होते हैं उनमें से सर्वाधिक संख्या बच्चों की होती है. यह रोग धूल, धुंआ, पालतू जानवर, कॉक्रोच, परागकण, अनुवांशिकता, दवाओं के प्रयोग आदि से होता है. बच्चाें में अस्थमा का लक्षण सर्दी-जुकाम, खांसी, सीने में जकड़न, सांस लेते वक्त सीटी व घरघराहट प्रमुख है.

डॉ सिंह सोमवार को जेएलएनएमसीएच के मेडिसिन विभाग में आयोजित पत्रकार वार्ता काे संबोधित कर रहे थे. अस्थमा के मरीजों को ‘आप’ (अस्थमा एक्शन प्लान) बनाना चाहिये. मरीज को इन्हेलर थेरेपी का सहारा लेना चाहिये. मौके पर डॉ शांतनु घोष ने कहा कि अस्थमा की जद में ज्यादातर बच्चें ही आते हैं. इसके अलावा वे लोग जो फैक्ट्रियों में काम करते हैं, धूम्रपान करते हैं वे भी इनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और रसायनों की जद में आकर अस्थमा के शिकार हो जाते हैं.

आइएमए के अध्यक्ष डॉ हेमशंकर शर्मा ने कहा कि दमा रोग दम निकलने के साथ ही जाता है. अत: मरीजों को इन्हेलर लेना चाहिये. डॉ भारत भूषण ने कहा कि मोटापा भी अस्थमा का एक कारण होता है. बच्चों को धूम्रपान के दाैरान निकलने वाले धुएं से बचाना चाहिये. डॉ राकेश कुमार ने कहा कि मरीज को इन्हेलर, रोटाकैप्स अथवा स्प्रेशर के जरिये ही दवा दी जाती है.

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