दुनिया में हर एक लाख में से 50 बच्चा रूमेटिक फीवर की जद में
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कहीं दिल तक न पहुंच जाये गले का इंफेक्शन
दुनिया में हर एक लाख में से 50 बच्चा रूमेटिक फीवर की जद में भागलपुर : अगर बच्चे के गले में दर्द है, तो आप सतर्क हो जाइये. कहीं गले में होने वाला इंफेक्शन आपके मासूम के दिल तक न पहुंच जाये. यह इंफेक्शन रूमेटिक फीवर के कारण होता है. दुनिया में हर एक लाख […]
भागलपुर : अगर बच्चे के गले में दर्द है, तो आप सतर्क हो जाइये. कहीं गले में होने वाला इंफेक्शन आपके मासूम के दिल तक न पहुंच जाये. यह इंफेक्शन रूमेटिक फीवर के कारण होता है. दुनिया में हर एक लाख बच्चों में से 50 बच्चे रूमेटिक फीवर की जद में है. भागलपुर क्षेत्र में भी रूमेटिक फीवर के मामले बढ़ रहे हैं.
उक्त बातें आइएमए भागलपुर के हॉल में आयोजित वैज्ञानिक सत्र के तहत रूमेटिक फीवर पर आयोजित व्याख्यान में शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार सिंह ने कहीं. उन्होंने कहा कि रूमेटिक फीवर ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकॉकस नामक वैक्टिरिया के फैलने से होता है. इस बीमारी का प्रकोप बरसात के दिनों में होता है. यह बीमारी अमूमन पांच से 15 साल के बच्चों को होती है. इस बीमारी में होने वाला इंफेक्शन पहले गले में होता है.
दो सप्ताह बाद इसका जहर जोड़ों(ज्वाइंट्स) तक पहुंच जाता है. इससे ग्रसित बच्चे को तेज बुखार होता है. शरीर के बड़े ज्वाइंट्स जैसे केहुनी, कलाई, पैर का घुटने, हर जोड़ में दर्द होता है. यह दर्द माइग्रेटरी होता है अर्थात एक में समाप्त होता है तो दूसरे में शुरू हो जाता है. दर्द इतना होता है कि मरीज का चलना-फिरना मुहाल हो जाता है. यहां तक ज्वाइंट्स में सूजन आ जाता है. अगर सही समय पर इलाज न हो तो गले का इंफेक्शन दिल तक पहुंच जाता है, जिससे हर्ट के वाॅल्व को डैमेज कर देता है, जिससे हार्ट का वाॅल्व रिपेयर या बदलना पड़ना पड़ता है. यदि गले में इंफेक्शन होने के नौ दिन के अंदर इसे पहचान कर इसका इलाज किया जाये तो इसे दिल तक पहुंचने से रोका जा सकता है.
सत्र काे इको कार्डियोलॉजिस्ट डॉ मनीष कुमार ने बच्चों में दिल की बीमारी पर विस्तार से प्रकाश डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता आइएमए भागलपुर के अध्यक्ष डॉ हेमशंकर शर्मा व संचालन डॉ इमराना रहमान ने की. मौके आइएमए के महासचिव डॉ एसके निराला, डॉ मनी भूषण, डॉ एसपी सिंह, डॉ एसएन झा, डॉ अंजना प्रकाश, डॉ मृदुला साहू, डॉ अपर्णा आदि मौजूद थे.
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