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टीएमबीयू: सीबीसीएस की राह में कई चुनौतियां

भागलपुर: यूजीसी ने 2015-16 के सत्र से िवश्वविद्यालयों में सीबीसीएस लागू करने का निर्देश जारी किया था. इसके लागू नहीं हो पाने की मूल वजह सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर का काफी अभाव है. शिक्षकों की भी भारी कमी है. टेक्नोलॉजी बेस्ड सपोर्ट नहीं है. सीबीसीएस लागू हो जाये, तो स्नातक का एक कोर्स करते हुए छात्र […]

भागलपुर: यूजीसी ने 2015-16 के सत्र से िवश्वविद्यालयों में सीबीसीएस लागू करने का निर्देश जारी किया था. इसके लागू नहीं हो पाने की मूल वजह सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर का काफी अभाव है. शिक्षकों की भी भारी कमी है. टेक्नोलॉजी बेस्ड सपोर्ट नहीं है. सीबीसीएस लागू हो जाये, तो स्नातक का एक कोर्स करते हुए छात्र दूसरा मनचाहा कोर्स कर सकते हैं.

लेकिन इसे लेकर विवि में किसी भी तरह की कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं है. कुल मिलाकर स्थिति यही है कि इस सिस्टम को लागू करने के लिए कई वर्ष लग सकते हैं. विवि के पीजी विभागों में सीबीसीएस लागू करना इसलिए भी मुश्किल है कि यहां तकरीबन 250 शिक्षकों की जरूरत है और महज लगभग 120 कार्यरत हैं. इस सिस्टम में छात्रों को कई विषय पढ़ने की स्वतंत्रता होती है. इसके लिए उसी अनुरूप शिक्षकों का बल भी चाहिए.

ट्रांसफर का भी विकल्प : सीबीसीएस में एक यूनिवर्सिटी से दूसरे यूनिवर्सिटी में जाने का विकल्प है. इसके तहत सभी अंडर ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट लेवल की डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट प्रोग्राम में यह लागू होगा. सेंट्रल, स्टेट और डीम्ड यूनिवर्सिटी इसी हिसाब से इसे आकलन करेगी. ट्रांसफर होने पर जितना क्रेडिट छात्र ने प्राप्त किया है वह दूसरे यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर हो जायेगा. इस प्रणाली में स्टूडेंट अंतिम तौर पर जिस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के लिए निर्धारित कुल 72 क्रेडिट प्राप्त करेंगे, उसी यूनिवर्सिटी से डिग्री मिलेगी.

यह है सीबीसीएस

यूनिवर्सिटी में लागू होनेवाली यह व्यवस्था परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से अलग है. च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के लागू होने के बाद अगर कोई बीएससी का छात्र जो मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री आदि विषय का अध्ययन कर रहा हो, वह चाहे तो हिस्ट्री, सोशल साइंस आदि विषय अपनी रुचि के अनुसार भी पढ़ सकेगा. उत्तीर्ण होने के लिए उसे अपने मुख्य कोर्स बीएससी में निर्धारित क्रेडिट प्राप्त करने के बाद शेष क्रेडिट वह मनचाहे विषय से जुटा सकता है.

ऐसा है पैटर्न

सीबीएस लागू होने से यूनिवर्सिटी के परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव होगा. इसमें विषय की हर यूनिट के क्रेडिट (अंक) निर्धारित होंगे. छात्रों को एक विषय के सभी यूनिट में अलग-अलग पास होने पर ही विषय में पास घोषित किया जायेगा. लेकिन अब तक विषय की सभी यूनिट के अंक मिला कर पासिंग नंबर लाना पड़ता है.

सीबीसीएस लागू करने के लिए शिक्षकों की पर्याप्त संख्या चाहिए. इसकी कमी है. शिक्षक लगातार रिटायर करते जा रहे हैं. फिर भी इस सिस्टम को लागू करने का पूरा प्रयास किया जायेगा.

प्रो एके राय, प्रतिकुलपति, टीएमबीयू

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