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साक्ष्य के अभाव में 29 बरी : डीएसपी सुखदेव मेहरा हत्याकांड. 19 वर्षों के बाद आया फैसला

19 जनवरी, 1987 की घटना छिपने पर भी नहीं बची थी जान भागलपुर : प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश जनार्दन त्रिपाठी ने मंगलवार को 19 जनवरी, 1987 को हुए डीएसपी सुखदेव मेहरा हत्याकांड में 29 आरोपितों को बरी कर दिया. अदालत में आरोपितों के खिलाफ अभियोजन पक्ष कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाया. डीएसपी हत्याकांड […]

19 जनवरी, 1987 की घटना छिपने पर भी नहीं बची थी जान
भागलपुर : प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश जनार्दन त्रिपाठी ने मंगलवार को 19 जनवरी, 1987 को हुए डीएसपी सुखदेव
मेहरा हत्याकांड में 29 आरोपितों को बरी कर दिया. अदालत में आरोपितों के खिलाफ अभियोजन पक्ष कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाया. डीएसपी हत्याकांड में पुलिस की चार्जशीट से लेकर अदालत में गवाहों की पेशी नहीं हो पायी.
इस मामले में सरकार की ओर से लोक अभियोजक सत्य नारायण प्रसाद साह और बचाव पक्ष से संतोष कुमार अग्रवाल और अभयकांत झा ने पैरवी की. अदालत में केस की पैरवी के दौरान पुलिस पदाधिकारियों को गवाही में आने को लेकर डीजीपी तक पत्र लिखा गया था, जो उस समय सिपाही, थानेदार आदि थे.
19 जून, 2013 को अदालत में तय हुआ था चार्ज : पुलिस ने मामले में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार की अदालत में पहली बार 19 जून, 2013 को 26 आरोपितों पर चार्ज तय किया. इसमें प्रेम किशोर, मो सरफराज, मो इकबाल, मो नसीम, मो शमशीर, मो इमतियाज, मो अमीन व अन्य शामिल थे. इसके बाद अन्य आरोपितों पर पुलिस ने चार्ज तय कर रिपोर्ट पेश की थी.
संयुक्त मोरचा के बैनर तले 19 जनवरी, 1987 को नाथनगर के मनसकामना नाथ चौक पर चक्का जाम किया गया था. जिला प्रशासन के निर्देश पर जाम स्थल पर तत्कालीन डीएसपी (विधि व्यवस्था) सुखदेव मेहरा, तत्कालीन बीडीओ विनय कुमार श्रीवास्तव अपने दल-बल के साथ पहुंचे. आक्रोशित बुनकरों का कहना था कि वे बिजली बिल नहीं देंगे.
इस दौरान भीड़ ने तत्कालीन डीएसपी (विधि व्यवस्था) सुखदेव मेहरा, तत्कालीन बीडीओ विनय कुमार श्रीवास्तव, तत्कालीन नाथनगर थाना प्रभारी केपी सिंह पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इसमें एक पत्थर डीएसपी सुखदेव मेहरा को लग गया. वे नजदीक के हिंद इंजीनियरिंग वर्क्स में छुप गये थे. मगर भीड़ ने उन्हें बाहर निकाल कर पिटाई कर दी और सरकारी जीप के साथ आग के हवाले कर दिया था़ इस मामले में थानाप्रभारी केपी सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. इसमें हर्नेश कुमार सहित दो अन्य पर भी एफआइआर हुई थी. पुलिस ने अलग-अलग प्राथमिकी में 88 लोगों को आरोपित बनाया था.

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