ज्ञान-वैराग्य से ही ईश्वर की प्राप्ति : नीरज भैया
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भागवत कथा. सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का उधाडीह में शुभारंभ
ज्ञान-वैराग्य से ही ईश्वर की प्राप्ति : नीरज भैया भागवत कथा के दौरान पंडाल में काफी संख्या में उमड़े महिला व पुरुष श्रद्धालु.संतों ने कहा कि अहंकार ही भगवान का भोजन है. मनुष्य को अभिमान नहीं करना चाहिए. सुलतानगंज : प्रखंड के भीरखूर्द पंचायत के काली मंदिर उधाडीह के समीप सोमवार से श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह […]
भागवत कथा के दौरान पंडाल में काफी संख्या में उमड़े महिला व पुरुष श्रद्धालु.संतों ने कहा कि अहंकार ही भगवान का भोजन है. मनुष्य को अभिमान नहीं करना चाहिए.
सुलतानगंज : प्रखंड के भीरखूर्द पंचायत के काली मंदिर उधाडीह के समीप सोमवार से श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह सह ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ किया गया. उद्घाटन भाजपा प्रचार मंच के प्रदेश प्रवक्ता मृणाल शेखर, प्रवचनकर्ता नीरज भैया व रामानंद सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. इस दौरान मृणाल शेखर ने कहा कि कर्म बिना फल की चिंता के व्यक्ति को करना चाहिए. नि:स्वार्थ भाव से किये गये कार्य से ही भगवान प्रसन्न होते हैं. भागवत गीता मनुष्य को हर समय प्रेरणा देती है.
कथावाचक काशी से पहुंचे संत नीरज भैया जी महाराज ने श्रीमद्भागवत के प्रसंग को विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि अहंकार से जीवन विडंबनाओं की गर्त में चला जाता है, जिससे ज्ञान व वैराग्य जर्जर हो जाता है. ज्ञान का पतन होने पर व्यक्ति के विचार शून्य हो जाते हैं और वैराग्य के पतन होने से व्यक्ति में लोभ की वृद्धि होती है. तब भक्ति व्याकुल हो जाती है.
इसके बाद भक्ति की दुख निवृत्ति के लिए किसी संत की आवश्यकता होती है. नारद जी के द्वारा भक्ति देवी का कष्ट दूर किया गया. उन्होंने कहा कि जीवों को संत, भगवन के शरण में जाना चाहिए. भगवान के सच्चे भक्त संसार की कोई वस्तु नही मांगते. यहां तक कि मुक्ति को भी ठुकरा देते हैं. इसलिए भक्ति को मुक्ति से भी श्रेष्ठ बताया गया है.
भागवत कथा के दौरान पंडाल में काफी संख्या में महिला व पुरुष की उपस्थिति देखी गयी. मौके पर आयोजन समिति के संयोजक नीलेश कुमार सिंह, मुख्य यजमान सपत्नी विजय कुमार सिंह, जवाहर सिंह, अरुण सिंह, हर्षवर्धन आदि कई गण्यमान्य लोग उपस्थित थे.
मनुष्य को कल की चिंता छोड़, कर्म करना चाहिए : पीरपैंती. मनुष्य की काया नश्वर है. अत: उसे अपनी काया पर अभिमान नहीं करना चाहिए. उसे फल की चिंता छोड़ अपना कर्म करते जाना चाहिए. जो व्यक्ति फल की चिंता करता है वह अपने कर्म से विमुख हो जाता है. उक्त बातें सुंदरपुर कृषि फार्म मैदान में सोमवार को महाविष्णु यज्ञ के अवसर पर चल रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में भागवताचार्य अभयानंद अभिषेक ने कही.
उन्होंने लोगों को अहंकार से दूर रहने की सीख देते हुए कहा कि भगवान का अहंकार ही भोजन है. मौके पर संतोषानंद जी महाराज द्वारा कलियुग के प्रकोप विषय पर आर्कषक झांकी प्रस्तुत की गयी.
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