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नसबंदी का हाल : पुरुषों से आगे आधी आबादी

भागलपुर : सोच व काबिलियत के बूते हम भले ही मंगल तक पहुंचने वाले हों, लेकिन जिम्मेदारी के मामले में पुरुष अभी भी आधी आबादी (महिलाओं) से बहुत पीछे हैं. फिलहाल महिला बंध्याकरण व नसबंदी के आंकड़े तो यही कहानी बयां कर रहे हैं. पौरुष खोने के अनावश्यक डर ने पुरुषों को नसबंदी के मामले […]

भागलपुर : सोच व काबिलियत के बूते हम भले ही मंगल तक पहुंचने वाले हों, लेकिन जिम्मेदारी के मामले में पुरुष अभी भी आधी आबादी (महिलाओं) से बहुत पीछे हैं. फिलहाल महिला बंध्याकरण व नसबंदी के आंकड़े तो यही कहानी बयां कर रहे हैं. पौरुष खोने के अनावश्यक डर ने पुरुषों को नसबंदी के मामले में महिलाओं से मीलों पीछे कर दिया है.

16 में से 10 प्रखंडों में तो एक भी पुरूषों ने नहीं करायी नसबंदी : जिले में कुल 16 प्रखंड में से एक रेफरल अस्पताल सुलतानगंज व 10 प्रखंड क्रमश: सुलतानगंज, शाहकुंड, नाथनगर, जगदीशपुर, सबौर, नवगछिया, इस्माइलपुर, बिहपुर, सन्हौला, गाेराडीह, नारायनपुर में एक भी पुरुषों ने बीते दस माह में एनएसवी (नॉन स्कल्पल वेसेक्टॉमी) अर्थात नसबंदी नहीं करायी.
सब पर भारी, कहलगांव की नारी: नसबंदी कराने के मामले में कहलगांव क्षेत्र की महिलाएं सबसे आगे हैं. यहां की 1011 महिलाओं ने बीते दस माह में महिला बंध्याकरण कराया है. महिलाओं की यह संख्या सदर अस्पताल 689, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सूर्या क्लिनिक 765 , रेफरल अस्पताल पीरपैंती 987 से आगे हैं.
पौरुष खोने का डर बना पुरुषों को हीरो के बजाय जीरो : पुरुष का एनएसवी के मामले में पिछड़ने के कारणों की अगर समीक्षा की जाये तो पता चलता है कि पौरुष खोने का डर ही पुरुषों को एनएसवी कराने से रोक रहा है. इस बाबत इनजेंडर हेल्थ के क्लिनिकल ट्रेनर डॉ जीपी वर्मा बताते हैं कि पुरुषों में यह भ्रम है कि एनएसवी कराने से उनमें मर्दानगी समाप्त हो जायेगी. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता है. पंजाब व हरियाणा में एनएसवी करानेवाले पुरुषों की संख्या सबसे ज्यादा है.
बंध्याकरण से आसान है एनएसवी : डीपीएम फैजान अशरफी आलम ने कहा कि महिलाओं का बंध्याकरण पुरुषों की एनएसवी से ज्यादा कठिन होता है. महिलाओं के पेट में चीरा लगाने के बाद उसकी एनएसवी की जाती है जबकि पुरुषों का दो मिनट में एनएसवी हो जाता है. यहां तक एनएसवी कराने वाला पुरुष अगले दिन से अपने काम पर भी जा सकता है.

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