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देश पर मर मिटने के सपने देखो

भागलपुर : मारवाड़ी युवा मंच की ओर से मारवाड़ी पाठशाला परिसर में आयोजित 56वां मित्र बसंत गोष्ठी सह अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में होलिका दहन की पूर्व संध्या पर देश के विभिन्न स्थानों से पधारे नामचीन कवियों ने अपनी कविता से समां बांध दिया. किसी ने वीर रस की कविता पाठ कर सामाजिक सद्भाव व […]

भागलपुर : मारवाड़ी युवा मंच की ओर से मारवाड़ी पाठशाला परिसर में आयोजित 56वां मित्र बसंत गोष्ठी सह अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में होलिका दहन की पूर्व संध्या पर देश के विभिन्न स्थानों से पधारे नामचीन कवियों ने अपनी कविता से समां बांध दिया. किसी ने वीर रस की कविता पाठ कर सामाजिक सद्भाव व कर्तव्य बोध का संदेश दिया, तो किसी ने देश की राजनीति व व्यवस्था पर कटाक्ष किया.

मथुरा से आयी श्रृंगार रस की कवयित्री पूनम वर्मा ने मुझे ऐसा वर दे, शारदे मां, जो अज्ञानता से हमें तारदे मां…सरस्वती वंदना कर कवि सम्मेलन की शुरुआत की. वदनावर से आये राकेश शर्मा ने मेरे सपने में जंगल, जंगल में झोपड़ा, झोपड़ा में मेरे साथ प्रियंका चोपड़ा…पंक्ति सुनायी तो लोग हंसते-हंसते लोट-पोट हो गये. इसके बाद इस पंक्ति का काट पेश करते हुए कहा कि तुम प्रियंका चोपड़ा के सपने देखोगे, तो घरवाली देखेगी प्रेम चोपड़ा का सपना.
सपना उनका नहीं, देश पर मर मिटने के सपने देखो. फिर पाकिस्तान द्वारा भारत पर किये जा रहे आतंकी हमले पर भी कटाक्ष किया और कहा कि रिश्ते मेें तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं बेटे, चाहे तो डीएनए टेस्ट करा लो…पर दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों की खूब तालियां बटोरी. मंच का संचालन करते हुए विनीत चौहान ने भी लोगों का खूब मनोरंजन किया. वहीं श्रृंगार रस की कवयित्री रूबिया खान ने जब श्रीकृष्ण की आराधना मैं जी लेती मोहब्बत में, पी लेती जहर का प्याला..
., समंदर सी किनारों का जो संगम काश होता, जो कान्हा की तरह हृदय में समा जाते, तो दुनिया में कहीं अमर इतिहास हो जाता… से अपने काव्य पाठ की शुरुआत की. इसके बाद लड़कियां बुजुर्गों का पाव छूने से डरती है, कि कब कोई कोई बूढ़ा आसाराम हो जाए…पंक्ति पढ़ी तो श्रोता हैरत में पड़ गये. इसके बाद अपने सह कवि पर व्यंग्य बाण चलाते हुए मैं बिल्ली बन कर आयी, कबूतर तेरे लिये, पंजे है मेरे भाले, कबूतर तेरे लिये…पंक्ति पढ़कर लोगों को खूब हंसाया.
इसके बाद प्रताप फौजदार जब अपनी रचना पढ़ने आये. इसी तरह मुंबई से आये सुनील व्यास ने भी एक से एक हंसी के फव्वारे छोड़े. फिर सहारनपुर के राजेंद्र राजन एवं सतीश मधुप ने भी अपनी रचनाओं से लोगों का दिल जीत लिया. श्रोता देर रात जमे रहे और कविगण भी एक से एक रचना प्रस्तुत करते रहे. देर रात तक कवियों की महफिल जमी रही.

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