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समन्वय नहीं होने का नक्सलियों ने उठाया फायदा

भागलपुर: अगर बिहार-झारखंड पुलिस में समन्वय होता तो शायद नक्सली जसीडीह (देवघर जिला) थाना क्षेत्र के बोढ़नियां गांव से निर्माण कार्य से जुड़े सात कर्मियों का अपहरण नहीं कर पाते. बिहार की खुफिया एजेंसी स्पेशल ब्रांच ने लगातार जमुई, लखीसराय, बांका एसपी को पत्र लिख कर यह आशंका जतायी थी कि नक्सली लेवी वसूलने के […]

भागलपुर: अगर बिहार-झारखंड पुलिस में समन्वय होता तो शायद नक्सली जसीडीह (देवघर जिला) थाना क्षेत्र के बोढ़नियां गांव से निर्माण कार्य से जुड़े सात कर्मियों का अपहरण नहीं कर पाते. बिहार की खुफिया एजेंसी स्पेशल ब्रांच ने लगातार जमुई, लखीसराय, बांका एसपी को पत्र लिख कर यह आशंका जतायी थी कि नक्सली लेवी वसूलने के लिए सड़क, पुल-पुलिया निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार, कर्मी को निशाना बना सकते हैं.

उनका अपहरण कर सकते हैं. अगर यह सूचना जमुई या बांका पुलिस द्वारा देवघर पुलिस को दी जाती तो शायद नक्सली अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाते. बांका व जमुई दोनों जिले की सीमा देवघर जिले से सटी हुई है. नक्सली इन जिलों में वारदातों को अंजाम देकर शेल्टर लेते हैं. बावजूद सूचनाओं के आदान-प्रदान में समन्वय का अभाव होना दोनों राज्यों की पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है.

बड़ी बात यह है कि दोनों राज्यों की पुलिस में समन्वय के मुद्दे पर कई बार उच्च स्तरीय बैठक भी हुई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं होने से बार-बार जरा सी चूक के कारण नक्सली/ अपराधी अपने मंसूबे में कामयाब होते गये.

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